BRICS समूह और उसके समर्थक देशों को ट्रंप की चेतावनी
जनवरी 2025 में व्हाइट हाउस में दोबारा वापसी करने के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक व्यापार पर एक आक्रामक नीति अपनाई है। उन्होंने न केवल चीन और रूस जैसे पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों पर बल्कि अपने पुराने साझेदार देशों पर भी भारी आयात शुल्क (टैरिफ) लगाए हैं। अब उन्होंने अपने निशाने पर BRICS समूह और उन देशों को लिया है जो इस समूह की नीतियों का समर्थन करते हैं।
‘ट्रुथ सोशल’ पर धमकी भरा संदेश
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा:
“जो देश BRICS की अमेरिका-विरोधी नीतियों का समर्थन करेगा, उस पर 10% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इसमें किसी के लिए कोई अपवाद नहीं होगा।”हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि BRICS की किन नीतियों को वे ‘अमेरिका-विरोधी’ मानते हैं। इस अस्पष्टता ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कूटनीति जगत में हलचल मचा दी है।
BRICS का बढ़ता प्रभाव अमेरिका के लिए चिंता का कारण
BRICS समूह की स्थापना 2009 में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने की थी। हाल के वर्षों में इस समूह का विस्तार हुआ है और अब इसमें मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, ईरान और यूएई जैसे देशों को भी शामिल किया गया है। यह समूह अब वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज बन चुका है और डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।
ब्राजील में चल रहा है BRICS का 17वां शिखर सम्मेलन
6 और 7 जुलाई को ब्राजील की राजधानी में BRICS का 17वां
शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है, जहां सदस्य देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देने पर चर्चा कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में ट्रंप का यह बयान और भी ज्यादा राजनीतिक और रणनीतिक महत्व रखता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह धमकी अमेरिका की व्यापारिक आक्रामकता का संकेत है, जो बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था के खिलाफ एकतरफा नीति को दर्शाता है। यह न केवल वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर सकता है बल्कि अमेरिका के पुराने सहयोगियों के साथ उसके संबंधों में भी दरार ला सकता है।