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‘नोबेल शांति पुरस्कार’ की दावेदारी से ट्रंप का नाम ख़ारिज

‘नोबेल शांति पुरस्कार’ की दावेदारी से ट्रंप का नाम ख़ारिज

फॉक्स न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्य बडी कार्टर ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था। इस नामांकन का आधार यह बताया गया कि ट्रंप ने ईरान और इज़रायल के बीच जारी सशस्त्र संघर्ष को रोकने के लिए एक “ऐतिहासिक और असाधारण भूमिका” निभाई है। जॉर्जिया राज्य से रिपब्लिकन पार्टी के सांसद बडी कार्टर ने इस दावे के साथ नोबेल समिति को एक औपचारिक पत्र भेजा था।

हालांकि, यह दावा बेहद विरोधाभासी और हास्यास्पद माना जा रहा है। दरअसल, हाल के दिनों में ट्रंप प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर की अवहेलना करते हुए ईरान पर सीधा हमला किया था। यह आक्रामक कार्रवाई न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के विरुद्ध थी, बल्कि इसे अमेरिका की एकतरफा और उत्तेजक सैन्य नीति के रूप में देखा गया।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप द्वारा ईरान पर किया गया यह हमला इज़रायल के समर्थन में एक सुनियोजित कदम था। संभवतः ट्रंप ने जानबूझकर इस टकराव को बढ़ाया ताकि बाद में खुद को एक शांतिदूत और मध्यस्थ के रूप में पेश कर सकें। यही रणनीति उनके नोबेल नामांकन के पीछे का कारण भी हो सकती है, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है।

इसके अतिरिक्त, इज़रायली शासन के पिछले व्यवहार को देखते हुए यह दावा भी खोखला साबित होता है कि उसने किसी युद्ध-विराम या समझौते को लेकर कभी गंभीरता दिखाई हो। इज़रायल की आक्रामक नीतियाँ और बार-बार हुए युद्ध-विराम उल्लंघन उसके भरोसेमंद न होने का सबूत हैं।

अतः ट्रंप की कथित शांति स्थापना की भूमिका को ना केवल क्षेत्रीय राजनीति के जानकारों ने खारिज किया, बल्कि नोबेल समिति ने भी इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इससे साफ हो गया है कि प्रचार और वास्तविकता के बीच एक गहरी खाई मौजूद है।

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