ग़ाज़ा पर ट्रंप का विचार, अमल में लाने योग्य नहीं: हारेत्ज़
इज़रायली अख़बार हारेत्ज़ के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ज़वी बारेल ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस प्रस्ताव पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि ग़ाज़ा के निवासियों को पड़ोसी देशों—मिस्र और जॉर्डन—में स्थानांतरित कर देना चाहिए। ट्रंप ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि “ग़ाज़ा पूरी तरह तबाह हो चुका है, वहां रहने योग्य स्थिति नहीं है, इसलिए कुछ अरब देशों को सहयोग करना चाहिए और विस्थापित फ़िलिस्तीनियों के लिए किसी अन्य स्थान पर आवासीय सुविधाएं बनानी चाहिए।”
ट्रंप की योजना की आलोचना क्यों हो रही है?
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इज़रायल और हमास के बीच युद्ध जारी है, जिसमें ग़ाज़ा को भारी तबाही का सामना करना पड़ा है। ग़ाज़ा के कई क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा पूरी तरह नष्ट हो चुका है, हजारों लोग मारे जा चुके हैं, और लाखों बेघर हो गए हैं। हालांकि, ट्रंप का यह प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का कारण बन गया है। हारेत्ज़ के विश्लेषक ज़वी बारेल ने इस प्रस्ताव को अव्यावहारिक बताते हुए कहा कि “इस तरह के विचारों पर चर्चा करना न केवल असंभव है, बल्कि यह युद्ध-बंदियों की अदला-बदली के संभावित समझौते को भी बाधित कर सकता है।”
अख़बार के एक अन्य विश्लेषक हाइम लेविनसन ने भी ट्रंप की इस योजना को राजनीतिक छल करार दिया। उन्होंने लिखा कि “संभावना है कि ट्रंप का यह प्रस्ताव सिर्फ एक राजनीतिक चाल हो, जिससे सऊदी अरब इज़रायल के साथ अपने संभावित सामान्यीकरण समझौते (normalization deal) को सही ठहराने के लिए इस विचार से दूरी बना सके।”
ट्रंप के प्रस्ताव पर अरब देशों की प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस बयान पर न केवल फ़िलिस्तीनियों ने बल्कि अरब देशों ने भी कड़ा विरोध जताया है।
मिस्र और जॉर्डन ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज किया
जॉर्डन सरकार ने इसे फ़िलिस्तीनियों के “बलपूर्वक निर्वासन” (forced displacement) की कोशिश बताते हुए इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फ़तह अल-सीसी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “फ़िलिस्तीनी जनता का जबरन विस्थापन अन्याय है, और हम इसमें किसी भी तरह की भागीदारी नहीं करेंगे।”
अमेरिकी सीनेटरों की भी असहमति
ट्रंप की इस योजना को न केवल अरब देशों से बल्कि अमेरिका के अंदर भी आलोचना का सामना करना पड़ा। अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम (रिपब्लिकन, दक्षिण कैरोलिना) ने कहा कि “यह प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है, और न ही इसका क्रियान्वयन संभव है।” ट्रंप के बयान ने उन अटकलों को भी तेज़ कर दिया है कि क्या अमेरिका और उसके सहयोगी ग़ाज़ा के फ़िलिस्तीनियों के लिए कोई दीर्घकालिक पुनर्वास योजना बना रहे हैं।
फ़िलिस्तीनी जनता की प्रतिक्रिया
ग़ाज़ा और पश्चिमी तट (वेस्ट बैंक) में रहने वाले फ़िलिस्तीनियों ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने इसे “एक और जबरन निर्वासन की साज़िश” बताया। फ़िलिस्तीनी अधिकारियों और संगठनों ने इस प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि “इज़रायल पहले भी 1948 और 1967 में लाखों फ़िलिस्तीनियों को उनके घरों से निकाल चुका है। अब यह नया प्रस्ताव उसी योजना का विस्तार लगता है।”
ट्रंप का यह प्रस्ताव, जिसमें फ़िलिस्तीनियों को ग़ाज़ा से बाहर भेजने की बात कही गई है, न केवल अव्यावहारिक है बल्कि इससे इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष को और जटिल बना सकता है। इस प्रस्ताव का व्यापक विरोध हो रहा है, और इसे फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ एक नई साज़िश के रूप में देखा जा रहा है।


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