ट्रंप की ग़ाज़ा पर कब्ज़े की घोषणा और अरब देशों का दिखावटी ग़ुस्सा
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जिस चीज़ को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था और जिसके कारण कमला सभी सर्वे में ट्रंप से आगे होते हुए भी चुनाव हार गईं, वह है ग़ाज़ा पट्टी और यूक्रेन का मुद्दा। ग़ाज़ा नरसंहार में अमेरिका इज़रायल का सबसे बड़ा भागीदार था, इस वास्तविकता से कोई इंकार नहीं कर सकता। ग़ाज़ा पट्टी में इज़रायली नरसंहार के विरुद्ध अगर सबसे ज़्यादा कहीं विरोध प्रदर्शन हुआ तो वह यूरोपीय देश थे।
यूरोपीय देशों में भी अगर सबसे ज़्यादा कहीं विरोध प्रदर्शन हुआ तो वह था अमेरिका ब्रिटेन। अमेरिका और ब्रिटेन में भी, ग़ाज़ा में इज़रायली अत्याचार के विरुद्ध अगर सबसे ज़्यादा विरोध प्रदर्शन किसी ने किया तो वह था छात्र संगठन। इज़रायल के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने वाले सभी छात्र, “स्वतंत्र फ़िलिस्तीन” की मांग कर रहे थे। यह पहला अवसर था जब फ़िलिस्तीन के समर्थन में अरब देशों से ज़्यादा यूरोपीय देशों के नागरिकों ने नेतन्याहू और बाइडेन प्रशासन के विरुद्ध प्रदर्शन किया।
ट्रंप ने चुनाव में ग़ाज़ा पट्टी और यूक्रेन को अपना सबसे बड़ा मुद्दा बनाया। ट्रंप ने चुनाव से पहले कहा था कि, अगर मैं सत्ता में आया तो ग़ाज़ा में युद्ध-विराम हो जाएगा। कहा जा रहा है कि, अमेरिकी चुनाव में यह ट्रंप की जीत और हैरिस की हार का सबसे बड़ा कारन बना। अमेरिकी मुस्लिम और छात्र संगठन, ग़ाज़ा पट्टी में नेतन्याहू द्वारा इज़रायली अत्याचार और नरसंहार में हैरिस-बाइडेन के सहयोग के कारण नाराज़ थे इस लिए उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को वोट दे दिया। लेकिन चुनाव जीतने के बाद ट्रंप नेतन्याहू के साथ मिलकर ग़ाज़ा के निवासियों को वहां से विस्थापित करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। अरब देश केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए विरोध दर्ज करा रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिलिस्तीन के घिरे हुए और इज़रायली हमलों से बर्बाद किए गए ग़ाज़ा पट्टी पर कब्ज़े की घोषणा कर दी है। वाइट हाउस में इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ग़ाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा कर लेगा और हम इसके मालिक होंगे। मुस्लिम विरोधी इस बयान पर इस्लामी दुनिया में केवल दिखावटी ग़ुस्सा देखा जा रहा है।
ग़ाज़ा में विस्थापन, फिलिस्तीनियों को बेदख़ल करने की साज़िश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि विस्थापित किए गए फ़िलिस्तीनियों को हमेशा के लिए ग़ाज़ा से बाहर बसाया जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने युद्धग्रस्त इस क्षेत्र को अमेरिका की ‘मिल्कियत’ में लेकर इसके पुनर्निर्माण की योजना पेश की।
न्यूज़ एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ वाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “मुझे नहीं लगता कि लोगों को वापस जाना चाहिए। हमें किसी और स्थान की ज़रूरत है। कोई ऐसी जगह हो जहाँ लोग ख़ुश रह सकें।” ट्रंप ने आगे कहा कि अमेरिका ग़ाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा कर लेगा और फ़िलिस्तीनियों को कहीं और बसाने के बाद इस क्षेत्र को “मिडिल ईस्ट का रिविएरा” बना देगा, जहाँ फ़िलिस्तीनियों समेत “दुनिया के लोग” रहेंगे। हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया कि अमेरिका किस अधिकार से इस ज़मीन की मिल्कियत लेगा और इस युद्धग्रस्त क्षेत्र का पुनर्निर्माण करेगा।
सऊदी अरब की दिखावटी प्रतिक्रिया
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वायत्त फ़िलिस्तीनि राज्य की स्थापना का समर्थन सऊदी अरब का “मज़बूत, पक्का और अटल रुख़” है। बयान में कहा गया कि “अंतरराष्ट्रीय समुदाय का कर्तव्य है कि वह फ़िलिस्तीनी जनता की पीड़ा को कम करने के लिए काम करे। वे अपनी ज़मीन पर डटे रहेंगे और कहीं नहीं जाएंगे।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने यह भी कहा कि फ़िलिस्तीनियों के पास “ग़ाज़ा के मलबे को छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।” उन्होंने यह संकेत भी दिया कि ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण के दौरान अमेरिकी सेना को तैनात किया जा सकता है और यह क्षेत्र “लंबे समय तक अमेरिकी मिल्कियत” में रहेगा।
अरब देशों ने फ़लस्तीनियों को ग़ाज़ा से बेदख़ल करने की साज़िश को सिरे से खारिज कर दिया है। सऊदी अरब, जॉर्डन, क़तर और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रियों ने अमेरिकी समकक्ष को एक संयुक्त पत्र भेजकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस पत्र में कहा गया कि “फ़िलिस्तीनियों को ग़ाज़ा से निकालने की योजना पूरी तरह अस्वीकार्य है।” अरब विदेश मंत्रियों ने लिखा कि “ग़ाज़ा का पुनर्निर्माण सीधे फ़िलिस्तीनी जनता की भागीदारी से होना चाहिए। वे अपनी ज़मीन पर रहेंगे और पुनर्निर्माण में योगदान देंगे।”
ट्रंप ने सुझाव दिया था कि जॉर्डन और मिस्र ग़ाज़ा के फ़िलिस्तीनियों को अपने यहाँ शरण दें और अमेरिका इस क्षेत्र पर कब्ज़ा कर ले। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि ईरान पर कड़ी पाबंदियाँ लगाई जाएँगी ताकि वह कभी परमाणु शक्ति न बन सके।
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