ब्रिक्स देशों को ट्रंप की धमकी, डॉलर कमज़ोर किया तो “100 प्रतिशत टैरिफ” लगाएंगे
अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ब्रिक्स (BRICS) देशों को कड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यदि ये देश अमेरिकी डॉलर के स्थान पर कोई वैकल्पिक मुद्रा बनाने की कोशिश करते हैं, तो अमेरिका उन्हें “100 प्रतिशत टैरिफ” लगाएगा। ट्रंप का यह बयान तब आया जब ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर को व्यापारिक लेन-देन की मुख्य मुद्रा के रूप में छोड़कर, एक नई साझा मुद्रा बनाने या डॉलर के विकल्प के रूप में किसी अन्य मुद्रा को अपनाने की योजना बनाई।
शनिवार रात ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रूथ सोशल” पर एक पोस्ट में कहा, “हम इन देशों से अनुरोध करते हैं कि वे एक नई ब्रिक्स मुद्रा बनाने की कोशिश न करें, या अमेरिकी डॉलर के स्थान पर किसी अन्य मुद्रा को समर्थन न दें। यदि ये ऐसा करते हैं, तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।” ट्रंप का कहना था कि यदि ये देश डॉलर को व्यापारिक लेन-देन के लिए छोड़ते हैं, तो इसके अलावा अमेरिका के साथ उनका व्यापार भी बहुत सीमित कर दिया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, “ब्रिक्स देशों द्वारा डॉलर के विकल्प की तलाश करना वैश्विक व्यापार में असंभव होगा। और जो भी देश डॉलर का विकल्प अपनाने की कोशिश करेगा, उसे अमेरिका से संबंध खत्म करने के लिए तैयार रहना चाहिए।” ट्रंप का यह बयान इस समय और भी महत्वपूर्ण हो गया है, जब कई देशों ने डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने की योजना बनाई है, विशेषकर ब्रिक्स समूह के देशों ने।
ब्रिक्स (BRICS) देशों का समूह 2006 में स्थापित हुआ था, जिसमें रूस, ब्राजील, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे। 2024 की शुरुआत से, इस समूह में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब भी शामिल हो गए हैं। इन देशों का उद्देश्य वैश्विक व्यापार में डॉलर की जगह एक साझा वैकल्पिक मुद्रा का निर्माण करना है। ट्रंप की चेतावनी इस समूह के प्रयासों पर सीधा प्रहार मानी जा रही है, क्योंकि अमेरिका, डॉलर की शक्ति को बनाए रखने के लिए किसी भी प्रकार के विरोध को गंभीरता से लेता है।
ट्रंप का मानना है कि अगर ब्रिक्स देशों ने डॉलर के विकल्प को अपनाया, तो यह अमेरिकी आर्थिक प्रभाव को कमजोर कर सकता है, जिससे वैश्विक बाजार में अमेरिकी शक्ति और समृद्धि को नुकसान हो सकता है। इस पूरे मामले में, अमेरिका की चेतावनी यह भी संकेत देती है कि वह किसी भी तरह से डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती नहीं सहन करेगा। ट्रंप के बयान से यह साफ है कि अमेरिका अपने वित्तीय प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने को तैयार है।