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ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली अमेरिकी वित्तीय सहायता निलंबित की

ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली अमेरिकी वित्तीय सहायता निलंबित की

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि, वाशिंगटन दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली सभी वित्तीय सहायता को निलंबित कर रहा है। उन्होंने इसका कारण इस देश द्वारा “एक विशेष वर्ग के लोगों के साथ किए जा रहे गलत व्यवहार” को बताया है। हालांकि, ट्रंप ने इस ‘विशेष वर्ग’ की स्पष्ट पहचान नहीं की और न ही कोई प्रमाण प्रस्तुत किया।

अमेरिकी सहायता रोकने की वजह
ट्रंप ने अपने बयान में दावा किया कि, दक्षिण अफ्रीका ज़मीनों को ज़ब्त कर रहा है और कुछ समूहों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक इस मामले की पूरी तरह से समीक्षा नहीं हो जाती, तब तक अमेरिका द्वारा केपटाउन को दी जाने वाली सभी वित्तीय सहायता निलंबित रहेगी। हालांकि, उन्होंने इस कथित ज़मीन ज़ब्ती और भेदभाव के बारे में कोई ठोस प्रमाण या विस्तृत जानकारी नहीं दी।

अमेरिका लंबे समय से विभिन्न देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करता रहा है, लेकिन ट्रंप प्रशासन के दौरान यह नीति कई बार सवालों के घेरे में आई। ट्रंप पहले भी कई अन्य देशों को दी जाने वाली वार्षिक वित्तीय सहायता को यह जांचने के लिए रोक चुके हैं कि क्या ये सहायता अमेरिका के हित में है या नहीं।

ग़ाज़ा नरसंहार के ख़िलाफ़ दक्षिण अफ्रीका की हालिया भूमिका
दक्षिण अफ्रीका हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बना है, क्योंकि यह उन देशों का नेतृत्व कर रहा है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में इज़रायली शासन के खिलाफ युद्ध अपराधों और ग़ाज़ा में नरसंहार के आरोपों को लेकर मुकदमा दायर किया है।

जनवरी 2024 में, दक्षिण अफ्रीका ने ICJ में इजरायल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें ग़ाज़ा में हो रहे हमलों को नरसंहार करार दिया गया था। इस मामले की सुनवाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी ध्यान आकर्षित कर रही है और ज़ायोनी शासन के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग तेज़ हो रही है।

क्या यह राजनीतिक प्रतिशोध है?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप द्वारा दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली वित्तीय सहायता रोकने का फैसला केवल ‘आंतरिक नीति’ से संबंधित नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक कारण भी हो सकते हैं। चूंकि दक्षिण अफ्रीका ने इज़रायली शासन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा कदम उठाया है, इसलिए अमेरिका का यह फैसला इसे कमजोर करने की कोशिश हो सकता है।

दक्षिण अफ्रीका, जो खुद नस्लभेद (अपार्थेइड) के इतिहास से गुज़र चुका है, फिलहाल फिलिस्तीनी जनता के समर्थन में खुलकर खड़ा हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए, अमेरिका द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता को निलंबित करना वैश्विक स्तर पर कई राजनीतिक सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि दक्षिण अफ्रीका इस कदम पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और क्या यह मामला अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका संबंधों को प्रभावित करेगा या नहीं।

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