ट्रंप ने व्यापार युद्ध में नरमी बरतते चीन को टैरिफ पर 90 दिनों की मोहलत दी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ चल रही व्यापारिक लड़ाई में बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने चीन को टैरिफ पर 90 दिनों की मोहलत दी है। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब उन्होंने भारत के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया हुआ है।
भारत पर अपने रुख पर ट्रंप ने कहा था, ‘कोई और इतना सख्त नहीं होता और मैं वहां नहीं रुका।’ चीन को लेकर अपने फैसले से ट्रंप ने वास्तव में अपनी जान छुड़ाई है। इससे अमेरिकी खुदरा विक्रेताओं को बड़ी राहत मिली है। अब उन्हें फेस्टिव सीजन में भारी टैरिफ नहीं देना होगा।
दिलचस्प यह है कि अमेरिका को चीन फूटी आंखों नहीं सुहाता है। लंबे समय से दोनों में ट्रेड वॉर छिड़ी हुई है। दूसरी तरफ भारत अमेरिका का सहयोगी रहा है। यह विरोधाभास ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी का महत्वपूर्ण पहलू है। कई जानकारों को भी इसके मायने समझ नहीं आ रहे हैं। हालांकि, ट्रंप के ऐसा करने के पीछे बड़ा मैसेज है।
ट्रंप ने चीन के साथ तो नरमी बरती है। लेकिन, भारत के खिलाफ अपने टोन बदली ली है। उन्होंने भारत को एक उदाहरण के तौर पर इस्तेमाल किया है। इससे उन्होंने दिखाया कि वह व्यापार के मामले में कितने सख्त हैं। व्हाइट हाउस की पूर्व व्यापार अधिकारी केली एन शॉ ने कहा कि यह ट्रंप की शैली है। बातचीत आखिरी समय तक चलती है। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने इस देरी का इस्तेमाल चीन से और रियायतें लेने के लिए किया होगा।
ट्रंप ने चीन से अमेरिका से सोयाबीन की चार गुना ज्यादा खरीदारी करने को कहा है। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चला है कि चीन इसके लिए राजी हुआ है या नहीं। पिछले हफ्ते, ट्रंप ने सीएनबीसी को बताया कि अमेरिका और चीन एक समझौते के ‘बहुत करीब’ हैं। उन्होंने कहा कि अगर प्रगति जारी रही तो वह साल के अंत से पहले शी जिनपिंग से मिलेंगे।
टैरिफ के इस पूरे खेल में ट्रंप भारत को चीन के खिलाफ मोहरा बनाने चाहते हैं। वह भारत को संदेश देना चाहते हैं कि अमेरिका के विरोधियों के साथ व्यापारिक रिश्ते रखने के गंभीर नतीजे हो सकते हैं। चीन के साथ जानबूझकर या यूं कहिए मजबूरी में टैरिफ में मोहलत देकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश है। वह चाहते हैं कि भारत दबाव में आकर अमेरिका के साथ उसके मनमाफिक डील कर ले। जैसा उसने जापान के साथ किया है।
डोनाल्ड ट्रंप अपनी घरेलू राजनीति में अमेरिकी किसानों और उद्योगों का समर्थन हासिल करना चाहते हैं। भारत के सख्त रुखकर को देखकर ट्रंप दिखावा कर रहे हैं कि वह अमेरिकी हितों के कितने बड़े पैराकार हैं। जबकि रूस से चीन भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा कच्चे तेल की खरीद करता है। चूंकि भारत अमेरिका का ट्रेड पार्टनर रहा है, वह उसे झुकाने में लगे हैं।

