ट्रंप अब ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ का सपना भी नहीं देख सकते: रूस
रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका द्वारा ईरान के फ़ोर्डो, नतांज़ और इस्फहान जैसे संवेदनशील परमाणु स्थलों पर किए गए हालिया हमले को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन करार देते हुए तीखी आलोचना की है। उन्होंने इस हमले को न केवल पश्चिमी अहंकार और दोहरे मापदंड का प्रतीक बताया, बल्कि अमेरिकी नेतृत्व, विशेषकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आड़े हाथों लिया।
मेदवेदेव ने एक कटाक्ष के रूप में कहा, “ट्रंप जो खुद को शांतिप्रिय राष्ट्रपति के रूप में दुनिया के सामने पेश कर रहे थे, अब उन्होंने खुलकर युद्ध का रास्ता अपना लिया है। इस स्थिति में वो अब नोबेल शांति पुरस्कार का सपना भी नहीं देख सकते। रूसी नेता ने आगे कहा कि यह हमला, जो अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में काम कर रहे ईरानी परमाणु कार्यक्रम के विरुद्ध किया गया है, न केवल अवैध है बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी एक बड़ा ख़तरा है।
उन्होंने दावा किया कि इस हमले का उल्टा असर हुआ है – ईरानी समाज पहले से अधिक संगठित और एकजुट हो गया है। यहां तक कि वे लोग, जो पहले सरकार के आलोचक माने जाते थे, अब देश की अखंडता और धार्मिक नेतृत्व के समर्थन में सामने आ गए हैं।
मेदवेदेव ने इस हमले को ईरान की राजनीतिक और रक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की विफल कोशिश बताया और ज़ोर देकर कहा: “ईरान न तो दबाव में आएगा और न ही अपने वैधानिक परमाणु अधिकारों से पीछे हटेगा। यूरेनियम संवर्धन पहले से तेज़ गति से जारी रहेगा और सुरक्षा ढांचा पहले से कहीं अधिक मज़बूत हो चुका है।”
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह अमेरिका और इज़राइल के इस प्रकार के ‘जंगल के कानून’ जैसी कार्रवाइयों की खुलकर निंदा करे और ईरान को उसके वैधानिक अधिकारों की रक्षा में समर्थन दे। इस बयान ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि ईरान के खिलाफ पश्चिमी गठजोड़ की कोई भी सैनिक कार्रवाई न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ाएगी, बल्कि वैश्विक ध्रुवीकरण को भी और गहरा कर देगी।

