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ट्रंप ने फिर से डॉलर को कमजोर करने के बारे में ब्रिक्स को चेतावनी दी

ट्रंप ने फिर से डॉलर को कमजोर करने के बारे में ब्रिक्स को चेतावनी दी

ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ने हाल ही में अपनी बैठक में एक साझा मुद्रा लॉन्च करने का फैसला किया है, जिसे विशेषज्ञ अमेरिकी डॉलर के लिए एक संभावित चुनौती के रूप में देख रहे हैं। इस कदम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चिंतित कर दिया है, और उन्होंने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

ट्रंप ने शुक्रवार रात को व्हाइट हाउस में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि ब्रिक्स देशों द्वारा डॉलर को कमजोर करने का विचार अब समाप्त हो चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ब्रिक्स देशों ने साझा मुद्रा शुरू की, तो अमेरिका उन पर व्यापारिक टैरिफ लगाकर जुर्माना लगाएगा। ट्रंप ने यहां तक कहा कि यदि ब्रिक्स देश डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देते हैं, तो वह उनके सामानों पर 100% टैरिफ लगाएगा।

ब्रिक्स देशों की यह साझा मुद्रा अमेरिकी डॉलर के वैश्विक वर्चस्व को कमजोर कर सकती है, क्योंकि यह देशों के बीच व्यापार और आर्थिक लेनदेन में डॉलर के उपयोग को कम कर सकती है। इससे अमेरिका की आर्थिक और वित्तीय शक्ति पर प्रभाव पड़ सकता है। ट्रंप की चेतावनी इस बात का संकेत है कि अमेरिका इस कदम को गंभीरता से ले रहा है और इसके प्रति सख्त रुख अपनाने के लिए तैयार है।

ब्रिक्स देशों ने हाल ही में कज़ान में आयोजित अपनी बैठक में इस साझा मुद्रा को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया। इस बैठक का आयोजन “न्यायसंगत अंतर्राष्ट्रीय संबंध” के केंद्र में किया गया था, जो दर्शाता है कि ब्रिक्स देश वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में अधिक न्यायसंगत और संतुलित प्रणाली की ओर बढ़ना चाहते हैं।

ब्रिक्स संगठन में शामिल देशों की संख्या बढ़ रही है, और कई अन्य देश सदस्यता प्रक्रिया में हैं या पर्यवेक्षक सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं। इसमें ईरान जैसे देश भी शामिल हैं, जो इस संगठन के माध्यम से अपनी आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं।

ब्रिक्स देशों द्वारा साझा मुद्रा लॉन्च करने की योजना से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में बदलाव आ रहा है, और ब्रिक्स देशों की यह पहल अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती दे सकती है। ट्रंप की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि अमेरिका इस चुनौती को गंभीरता से ले रहा है और इसके प्रति सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है। यह स्थिति वैश्विक व्यापार और आर्थिक संबंधों में नई तनावपूर्ण गतिशीलता ला सकती है।

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