ISCPress

शहीद सरदार सुलेमानी की शहादत की चौथी वर्षगांठ का शीर्षक “शहीदे कुद्स” रखा गया

 शहीद सरदार सुलेमानी की शहादत की चौथी वर्षगांठ का शीर्षक “शहीदे कुद्स” रखा गया

शहीद जनरल कासिम सुलेमानी की चौथी बरसी के मौके पर शहीद स्मारक केंद्र के प्रवक्ता सैयद मुजतबा अबतही ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस साल शहीद कासिम सुलेमानी की बरसी का शीर्षक “शहीदे कुद्स” तय किया गया है। उन्होंने कहा कि, फिलिस्तीन की बहादुर जनता की दृढ़ता और हमास प्रमुख इस्माइल हानियेह की दृढ़ता और मज़बूत इरादे को देखते हुए इस महान सूरमा को “शहीदे कुद्स” की उपाधि दी गई है।

उन्होंने कहा कि एक नई दुनिया अस्तित्व में आ रही है जिसमें महान और प्रतिष्ठित लोगों को का सर ऊंचा और बुलंद हो रहा है जबकि, अमेरिका, ज़ुल्म, साम्राज्यवाद और इज़रायली शासन का अंत निश्चित है। ग़ाज़ा के मज़लूमों की क़ुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। ग़ाज़ा के मज़लूमों और शहीदों को भी जनरल क़ासिम सुलेमानी की तरह याद किया जाएगा। इसी कारण इस साल सरदार सुलेमानी की शहादत का शीर्षक “शहीदे कुद्स” रखा गया है।

अबतही ने अल-अक्सा ऑपरेशन में शहादत की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि ऑपरेशन को लगभग तीन महीने पूरे हो रहे हैं और हमास के बहादुर लड़ाके इज़रायली,अहंकारी और अत्याचारी शासन के साथ युद्ध के मैदान में डटे हुए हैं।
यह ऑपरेशन वर्चस्व के ख़िलाफ़ एक रणनीतिक लड़ाई थी, जो सार्वजनिक उत्पीड़न के विभिन्न स्तरों में बदल गई है। इस लड़ाई ने फ़िलिस्तीनी जनता का दुनिया के सामने एक सम्मानजनक चेहरा पेश करते हुए इज़रायल के अत्याचारी और आक्रमण कारी चेहरो को पेश किया है।

उन्होंने कहा कि हमने पहली बार अमेरिका और यूरोपीय देशों के लोगों को 10 हफ्ते तक सड़कों पर प्रदर्शन करते देखा है। और शहीद सुलेमानी, जिनके जज़्बे दुनिया भर के देशों के लोगों के दिलों में जुनून जूनून की बैठ गए हैं। मुज्तबा अबतही ने कहा कि आज हम पूरे क्षेत्र में हर जगह शहीद सुलेमानी की रोशनी देख रहे हैं, हैरानी वाली बात तो यह है कि फ़िलिस्तीन की जनता पर ज़ुल्मो अत्याचार करने वाले हमारे कायर दुश्मन भी हर दिन शहीद क़ासिम सुलेमानी की बहादुरी के गीत सुन रहे हैं।

Exit mobile version