यूपी में छात्रों का विरोध प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा पीसीएस (प्रारंभिक) और आरओ, पीआरओ की परीक्षाओं को केवल दो दिनों में आयोजित करने के फैसले के खिलाफ सोमवार को शुरू हुआ छात्रों का विरोध प्रदर्शन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। देर रात जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर ने आयोग के साथ एक बैठक की, जो बेनतीजा रही। विरोध कर रहे छात्रों ने सर्दी के बावजूद रात खुले आसमान के नीचे गुजारी और मंगलवार सुबह फिर से विरोध प्रदर्शन करने लगे।
इस दौरान वे छात्र जो अपने घर चले गए थे, वापस आकर आयोग के गेट पर जमा हुए प्रदर्शनकारियों में शामिल हो गए। सोमवार को छात्रों पर किए गए लाठीचार्ज की कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कड़ी निंदा की। कांग्रेस कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के प्रभारी जयराम रमेश ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि “लोक सेवा आयोग की मनमानी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों की बात सुनने के बजाय उन पर लाठियां बरसाना बेहद दुखद और प्रशासन की विफलता और छात्रों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है। छात्रों की बातों को ध्यान से सुनना और उनके मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने युवाओं की आवाज़ को इस तरह दबाने की कोशिश की है; इससे पहले भी नौकरी की मांग करने या भर्ती घोटालों और पेपर लीक के खिलाफ प्रदर्शन करने पर उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता जनता को रोज़गार और आजीविका की लड़ाई में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं ताकि वे सांप्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें।
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है, जो भगवा पार्टी को भारी पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि आज राज्य का माहौल ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ हो गया है। उत्तर प्रदेश के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर उम्मीदवार और हर छात्र की जुबान पर है कि, नौकरी बीजेपी के एजेंडे में है ही नहीं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों पर लाठी-डंडा चलवाया गया क्योंकि उनके एजेंडे में नौकरी नहीं है, इसलिए राज्य को ऐसी सरकार नहीं चाहिए।