साउथ कोरिया की संसद ने राष्ट्रपति के इंपीचमेंट की मांग की
साउथ कोरिया के राष्ट्रपति योन सोक-योल द्वारा मार्शल लॉ को रद्द किए जाने के बावजूद, देश के सांसदों ने उनके इंपीचमेंट की मांग की है। मंगलवार को योन ने संसद में सरकार के विरोधियों पर उत्तर कोरिया के साथ साजिश और सरकार विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए मार्शल लॉ की घोषणा की।
जब विपक्षी दलों ने संसद पर कब्जा कर लिया, तो राष्ट्रपति योन ने उन्हें उत्तर कोरिया के कम्युनिस्ट शासन के प्रति सहानुभूति रखने और “विद्रोह को उकसाने के उद्देश्य से सरकारी विरोधी गतिविधियों” का आरोप लगाया। इसके जवाब में, सांसदों ने मार्शल लॉ को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया।
घटना का विवरण:
मंगलवार को, योन सोक-योल ने साउथ कोरिया की संसद में विपक्षी दलों के खिलाफ एक तीव्र बयान दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद के विपक्षी सदस्य उत्तर कोरिया के साथ साजिश रचने और सरकार के खिलाफ गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन गतिविधियों का उद्देश्य “विद्रोह को उकसाना” है। इसके बाद, योन ने मार्शल लॉ (सैन्य कानून) की घोषणा की, जिसका उद्देश्य विरोधी दलों की गतिविधियों को रोकना था।
इंपीचमेंट की मांग:
इसके बाद, सरकार विरोधी दलों का एक गठबंधन सामने आया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति के खिलाफ इंपीचमेंट प्रस्ताव लाने का ऐलान किया। यह प्रस्ताव बुधवार को संसद में पेश किया गया, और इसे 72 घंटे के भीतर वोटिंग के लिए रखा जाएगा। विपक्षी सांसदों का कहना है कि संसद को तुरंत राष्ट्रपति के कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि इंपीचमेंट प्रस्ताव जल्दी पारित हो सके।
कैसे होती है इंपीचमेंट की प्रक्रिया?
साउथ कोरिया की संसद में यदि दो-तिहाई सांसद इंपीचमेंट के पक्ष में मतदान करते हैं, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जा सकता है। इसके अलावा, राष्ट्रपति के खिलाफ राजद्रोह के आरोप भी लगाए जा सकते हैं और उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। यदि राष्ट्रपति योन सोक-योल इस्तीफा दे देते हैं या उन्हें हटाया जाता है, तो प्रधानमंत्री हान डक-सू राष्ट्रपति के पद का कार्यभार संभालेंगे, जब तक कि नए चुनाव नहीं हो जाते। इन चुनावों को 60 दिनों के भीतर आयोजित किया जाना अनिवार्य है।
यह घटनाक्रम साउथ कोरिया की राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है, जिसमें राष्ट्रपति की शक्ति को चुनौती दी जा रही है। इस इंपीचमेंट प्रस्ताव के बाद, यह देखा जाएगा कि सत्ता परिवर्तन के इस संघर्ष में कौन जीतता है। योन सोक-योल की सरकार के खिलाफ यह कदम विपक्षी दलों द्वारा सत्तारूढ़ सरकार को अस्थिर करने की एक कोशिश प्रतीत हो रही है।