मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार में शिवराज सिंह चौहान समर्थकों की अनदेखी
कई दिनों के इंतजार के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर लिया है। विधानसभा में स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद इस देरी को अंदरूनी कलह बताया जा रहा है। अब जब 28 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन हो गया है तो पता चला है कि शिवराज सरकार के 10 मंत्रियों को दोबारा मौका नहीं दिया गया है। उसी तरह नए मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट को भी घास नहीं डाली गई है।
सिंधिया गुट से सिर्फ तीन विधायकों को कैबिनेट में जगह मिली है। नए मंत्रिमंडल में बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद सिंमुख्यमंत्री ह पटेल को भी शामिल किया गया है। राजनीतिक गलियारों में इसे उनकी उन्नति नहीं बल्कि अवनति के रूप में देखा जा रहा है। इस दौरान एक खास बात यह देखने को मिली कि मालवांचल के उज्जैन जिले से आने वाले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल में मुख्य रूप से इसी क्षेत्र के मंत्रियों का दबदबा था। नए मंत्रिमंडल को लोकसभा चुनाव की राजनीतिक बराबरी की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है।
इस बार कैबिनेट में सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व राज्य के ‘मालवा नेमाड़’ क्षेत्र को दिया गया है। आज शपथ लेने वाले पांच मंत्री इंदौर संभाग से हैं। इसी तरह, राज्य के महाकौशल क्षेत्र से आज के मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण नाम राकेश सिंह, प्रहलाद पटेल और उदय प्रताप सिंह हैं। संपुतिया ओइके भी इसी क्षेत्र से हैं। कैबिनेट में भोपाल संभाग को भी खास तरजीह दी गई है। शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री रह चुके भोपाल की नरीला सीट से विधायक विश्वास सारंग को इस बार भी कैबिनेट में शामिल किया गया है। इसके अलावा भोपाल के गोविंदपुरा से विधायक श्रीमती कृष्णा गौर को भी इस बार मंत्री पद दिया गया है। वह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू हैं।
शिवराज सिंह चौहान सरकार में सत्ता के गलियारे में बेहद अहम माने जाने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र के चार विधायकों को कैबिनेट में शामिल किया गया है। मोहन यादव सरकार में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, लाखन पटेल, दिलीप अहिरवार और धर्मेंद्र लोधी को शामिल किया गया है। इसी तरह विंध्य क्षेत्र से उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के नाम के बाद अब इसी क्षेत्र की रीगांव सीट से निर्वाचित प्रतिमा बागरी को भी कैबिनेट में जगह दी गई है। शहडोल संभाग से दिलीप जयसवाल और छतरंगी से पहली बार विधायक बनीं राधा सिंह ने भी शपथ ली है।
मंत्रिमंडल में ग्वालियर चंबल क्षेत्र का दबदबा भी दिखता है लेकिन सिंधिया समर्थकों को बुरी तरह नजरअंदाज किया गया है। नई कैबिनेट में उनके सिर्फ तीन समर्थकों को जगह मिली है। प्रद्युमन सिंह तोमर, तुलसी सलावत और गोविंद सिंह राजपूत सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं। उनके साथ 2020 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए एंदल सिंह कंसाना को भी मंत्री बनाया गया है। कंसाना को भी सिंधिया का करीबी माना जाता है।
शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री रहे प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गौ और भूपेंद्र सिंह का नाम कैबिनेट में शामिल न होना एक बार फिर सभी को चौंका रहा है। शिवराज कैबिनेट में 10 मंत्रियों को इस बार मौका नहीं दिया गया है। नई कैबिनेट में पूर्व मुख्यमंत्री के सिर्फ 6 समर्थकों को जगह दी गई है।