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चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर की हरकत, लोकतंत्र की हत्या है: सुप्रीम कोर्ट

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर की हरकत, लोकतंत्र की हत्या है: सुप्रीम कोर्ट

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी के पार्षद कुलदीप कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें चुनाव परिणाम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। वहीं भाजपा उम्मीदवार को चंडीगढ़ नगर निगम का मेयर घोषित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव कराने वाले रिटर्निंग ऑफिसर की आलोचना की और कहा कि यह स्पष्ट है कि रिटर्निंग ऑफिसर ने मतपत्रों को विकृत कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है, “क्या वह इसी तरह से चुनाव आयोजित करते हैं? यह लोकतंत्र का मजाक है। यह लोकतंत्र की हत्या है। हम हैरान हैं। इस आदमी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। क्या यह रिटर्निंग ऑफिसर का व्यवहार है?”

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से मतपत्र, वीडियोग्राफी और अन्य सामग्री सहित चुनाव प्रक्रिया के पूरे रिकॉर्ड को संरक्षित करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि चंडीगढ़ निगम की आगामी बैठक को सुनवाई की अगली तारीख तक के लिए टाल दिया जाए।

बता दें कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में निर्वाचन अधिकारी की तरफ से धांधली के आरोपों के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के तरफ रुख किया था। यह याचिका इंडिया यानी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। हालांकि चुनाव जीतने वाले भाजपा उम्मीदवार मनोज सोनकर ने भी अदालत का दरवाज़ा खटखटाया और कैविएट दाखिल की।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप की याचिका पर फैसला करने से पहले उनकी बात भी सुनी जानी चाहिए।

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