पुतिन के नज़दीक, बाइडेन और हैरिस की कोई इज्जत नहीं: ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में अमेरिकी नेतृत्व पर तीखा हमला बोला। रविवार शाम को अल-अरबिया चैनल पर प्रसारित हुए एक विशेष साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा कि अगर वे राष्ट्रपति होते तो रूस, यूक्रेन पर कभी हमला नहीं करता। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके पास रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को जल्द खत्म करने की क्षमता है, जो वर्तमान पश्चिमी नेतृत्व नहीं कर पा रहा है।
पुतिन के लिए बाइडेन और हैरिस ‘कागजी शेर’ हैं
ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और वर्तमान अमेरिकी प्रशासन के बीच संबंधों को लेकर भी गंभीर टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा, “पुतिन राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का सम्मान नहीं करते। उनके अनुसार, पुतिन ने बाइडेन और हैरिस की कमजोरी देखी और उन्हें ‘कागजी शेर’ कहा।” ट्रंप का कहना था कि वे और उनका प्रशासन ‘कागजी शेर’ नहीं थे और अमेरिका की वर्तमान स्थिति को उन्होंने नेतृत्व की कमजोरी के रूप में दर्शाया।
यूक्रेन संघर्ष को जल्द खत्म करने का दावा
ट्रंप ने अपने साक्षात्कार में यह भी दावा किया कि उनके पास रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को “कुछ दिनों या घंटों में” समाप्त करने की क्षमता है। उनका कहना है कि वर्तमान पश्चिमी नेताओं के पास इस समस्या को सुलझाने की न तो रणनीति है और न ही इच्छाशक्ति। उन्होंने आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका के नेतृत्व ने रूस को कमजोर नेतृत्व का संकेत दिया है, जिसका फायदा पुतिन ने उठाया।
जेडी वेंस ने किया खुलासा
ट्रंप के इस बयान से पहले, उनके उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस ने भी इसी दिशा में अपनी राय जाहिर की थी। वेंस, जो पिछले सितंबर में ओहायो से सांसद चुने गए थे, ने कहा था कि ट्रंप प्रशासन में रूस का आक्रमण कभी नहीं होता। वेंस के अनुसार, ट्रंप का नेतृत्व पुतिन के सामने एक अलग संदेश भेजता और यूक्रेन संघर्ष की स्थिति आज जैसी नहीं होती।
ट्रंप के इन बयानों ने अमेरिकी राजनीतिक माहौल में एक नई बहस छेड़ दी है। राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि बाइडेन प्रशासन ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे युद्ध की स्थिति बढ़ी। ट्रंप के आलोचकों का कहना है कि उनके दावे भले ही सुनने में प्रभावी लगें, लेकिन वास्तविक राजनीति में उनकी रणनीति कितनी प्रभावी होगी, यह देखने वाली बात होगी।
राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आने के साथ ही ट्रंप और बाइडेन के बीच की जुबानी जंग और तेज हो रही है। ट्रंप अपनी मजबूत विदेश नीति के दावे और बाइडेन की कमजोर नेतृत्व शैली को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। दूसरी ओर, बाइडेन प्रशासन का दावा है कि वे अंतरराष्ट्रीय गठबंधन और कूटनीति के जरिए यूक्रेन संघर्ष का समाधान खोजने के प्रयास कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि जनता किसकी बातों पर ज्यादा विश्वास करती है और चुनावी नतीजों पर इसका कितना असर पड़ता है।