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यूपी विधान सभा में गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध (संशोधन) विधेयक 2024 पेश

यूपी विधान सभा में गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध (संशोधन) विधेयक 2024 पेश

उत्तर प्रदेश: यूपी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। धर्मांतरण से यूपी सरकार काफी परेशान लगती है। बिल पेश किए जाते समय उसका आधिकारिक बयान यही बता रहा है। यह बिल 2021 में इसी सरकार द्वारा पारित उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम की जगह लेगा। नए विधेयक में धर्मांतरण का आरोप साबित होने पर अधिकतम सज़ा को 10 वर्ष से बढ़ाकर उम्रकैद में बदल दिया गया है। किसी भी व्यक्ति को शिकायत दर्ज करने की अनुमति देने के लिए इसके दायरे का विस्तार किया गया है। इसमें मिलने वाली जमानत को और अधिक कठिन बना दिया गया है।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने साल 2020 में धर्मांतरण के खिलाफ पहली बार कानून बनाया था। अब इस कानून को और सख्त करने के लिए विधानसभा में सोमवार (29 जुलाई) को अध्यादेश पेश किया गया। अब तक इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले को 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया था। विधेयक के अनुसार, जो कोई भी नाबालिग, विकलांग या मानसिक रूप से प्रभावित व्यक्ति, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के संबंध में कानून का उल्लंघन करेगा, उसे 14 साल तक की सजा होगी। कम से कम 1 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा। मौजूदा अधिनियम में 10 साल तक की सजा का प्रावधान है, और न्यूनतम जुर्माना 25,000 रुपये तय है।

धर्मांतरण के खिलाफ योगी सरकार के विधेयक के तहत सिर्फ शादी करने के लिए अगर धर्म बदला जाता है तो ये अमान्य माना जाएगा। इसके साथ ही इस मामले में धोखा में रखकर या फिर झूठ बोलकर धर्म परिवर्तन किया जाता है तो इसे अपराध माना जाएगा। अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो ऐसी स्थिति में उसे 2 महीने पहले मजिस्ट्रेट को इस बारे में सूचना देनी होगी। मौजूदा अधिनियम किसी भी पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई, बहन या रक्त, विवाह या गोद लेने से संबंधित किसी भी व्यक्ति को गैरकानूनी धर्मांतरण के मामले में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देता है।

नया विधेयक इसके दायरे को बढ़ाता है। अब “किसी भी व्यक्ति” को शामिल किया गया है। यानी ”अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन से संबंधित कोई भी जानकारी कोई भी व्यक्ति दे सकता है।” और सरल भाषा में समझें- कोई भी तीसरा व्यक्ति अगर दूसरे के बारे में धर्मांतरण की सूचना देता है तो भी एफआईआर दर्ज की जाएगी। पीड़ित चाहे परेशान न हो लेकिन तीसरा व्यक्ति अगर उसकी स्थिति से परेशान है तो भी एफआईआर हो जाएगी।

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