पीएम मोदी ने ट्रंप की टिप्पड़ी का संयमित, और सकारात्मक जवाब दिया: पूर्व भारतीय राजदूत
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर सकारात्मक टिप्पणी किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया सामने आई है। इस पर भारत के वरिष्ठ राजनयिक और फ्रांस व मोनाको में भारत के पूर्व राजदूत जावेद अशरफ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप की बात का संयमित, लेकिन सकारात्मक ढंग से जवाब दिया है।
अशरफ के अनुसार, प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि भारत की ओर से किसी तरह का विवाद नहीं है और अब यह पूरी तरह अमेरिका पर निर्भर करेगा कि वह इन मतभेदों को किस तरह हल करता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में भारत-अमेरिका संबंधों में जो तल्खी देखने को मिल रही है, उसका प्रमुख कारण रूस से भारत द्वारा कच्चे तेल का आयात बताया जा रहा है।
पूर्व राजदूत ने कहा, ‘‘यह स्वागतयोग्य है कि हाल के बयानों में पाकिस्तान से जुड़े मुद्दे और संघर्षों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप गायब हो गए हैं। अब पूरा फोकस रूस से कच्चा तेल खरीद पर है, जिसे असहमति का मूल कारण बताया गया है। आज के बयानों से लगता है कि धीरे-धीरे लहजे में नरमी आ रही है और कुछ सकारात्मक संकेत दिखे हैं। हालांकि हमें सावधानी के साथ आशावादी रहना होगा, क्योंकि यह सिर्फ पहला कदम है।’’
उन्होंने आगे कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में दो बातें विशेष ध्यान देने योग्य हैं। पहली, राष्ट्रपति ट्रंप अक्सर अपने विचारों को बदलने के लिए जाने जाते हैं और वह यह काम अक्सर सोशल मीडिया के जरिए करते हैं। इसलिए उनके बयानों को संतुलित दृष्टिकोण से देखना होगा। दूसरी, यह भी सच है कि अभी भी भारत पर टैरिफ लागू हैं और असली परीक्षा तब होगी जब दोनों देश इस जटिल मुद्दे का समाधान निकालेंगे।
अशरफ ने भारतीय पक्ष की ओर से अब तक की नीति की सराहना की और कहा कि भारत ने हमेशा तथ्यों पर आधारित और संयमित टिप्पणियां की हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसी नीति को अपनाते हुए राष्ट्रपति ट्रंप को सकारात्मक जवाब दिया है। इसका संदेश साफ है कि विवाद भारत की ओर से नहीं है और अब अमेरिका पर है कि वह समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को यह समझना होगा कि भारत अपने मूल राष्ट्रीय हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। न ही वह किसी ऐसे दबाव को स्वीकार करेगा, जिससे उसकी रणनीतिक या आर्थिक स्वतंत्रता प्रभावित हो। जैसे-जैसे यह समझ अमेरिका में गहराई से बैठ जाएगी, भारत-अमेरिका संबंध और गंभीर तथा स्थायी होंगे।
अशरफ ने याद दिलाया कि भारत हमेशा बातचीत के लिए तैयार रहा है और अमेरिका को व्यापार से जुड़े महत्वाकांक्षी प्रस्ताव भी दिए हैं। अब यह पूरी तरह अमेरिका पर है कि वह भारत के साथ अपने रुख को लेकर आंतरिक मतभेदों को कैसे दूर करता है और साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए किस तरह कदम उठाता है।

