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पाकिस्तान ने ‘सिंधु जल संधि’ पर बातचीत की लगाई गुहार, भारत ने सख़्ती से ठुकराया

पाकिस्तान ने ‘सिंधु जल संधि’ पर बातचीत की लगाई गुहार, भारत ने सख़्ती से ठुकराया

सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को लेकर पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर रखा है। इसके बाद पाकिस्तान लगातार भारत से गुहार लगा रहा है। पाकिस्तान ने भारत को चार पत्र लिखकर इस फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है।

सिंधु जल संधि बहाल करने को लेकर पाकिस्तान ने अब तक भारत को चार लेटर भेजे हैं। NDTV ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि इन चार लेटर में से एक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भेजा गया है। सूत्रों ने बताया कि ये चार पत्र पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा ने जल शक्ति मंत्रालय को भेजे थे। इसके बाद मंत्रालय ने उन्हें विदेश मंत्रालय (MEA) को भेज दिया।

पाक ने ख़त लिखने का यह क़दम तब उठाया है, जब भारत ने इस संधि को पिछले महीने अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं और सीमा पार आतंकवाद के आरोपों का हवाला देते हुए निलंबित कर दिया था। हालाँकि, भारत ने इस पेशकश को अभी स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और संधि को अपने हिसाब से संशोधन करने की दिशा में क़दम उठाने की बात कही है।

भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। संदेश साफ़ है कि ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।’ तो सवाल है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर कार्रवाई करेगा या फिर संधि से हाथ धोकर आर्थिक नुक़सान झेलता रहेगा?

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल बँटवारे का एक ऐतिहासिक समझौता है। इसे दोनों देशों के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में हस्ताक्षरित किया गया था। इसके तहत सिंधु नदी सिस्टम की छह नदियों सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज का जल बंटवारा है। संधि के अनुसार, रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का नियंत्रण भारत के पास है, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित है।

यह संधि दशकों से दोनों देशों के बीच सहयोग का एक मजबूत आधार रही है, लेकिन हाल के वर्षों में तनाव और आतंकवाद से संबंधित मुद्दों ने इसे प्रभावित किया है।

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