Site icon ISCPress

मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमार दिसानायके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति निर्वाचित

मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमार दिसानायके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति निर्वाचित

कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में रविवार को मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को जीत मिली। अनुरा कुमार दिसानायके को रविवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित किया गया है। 56 वर्षीय दिसानायके ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समागी जन बालवेगया (SJB) के साजिथ प्रेमदासा को हराया है। राष्ट्रपति चुनाव के रिजल्ट से पूरी दुनिया हैरान है। देश के चुनाव आयोग द्वारा अभूतपूर्व दूसरे दौर की मतगणना के बाद यह परिणाम आया।

दिसानायके नेशनल पीपुल्स पॉवर गठबंधन के नेता और जनता विमुक्ति पेरामुना के प्रमुख हैं। श्रीलंका के चुनाव आयोग द्वारा विजेता घोषित किए जाने के बाद दिसानायके ने कहा, ‘सदियों से हमने जो सपना देखा था, वह आखिरकार साकार हो रहा है। यह उपलब्धि किसी एक व्यक्ति के काम का नतीजा नहीं है, बल्कि आप जैसे लाखों लोगों के सामूहिक प्रयास का नतीजा है। आपकी प्रतिबद्धता ने हमें यहां तक ​​पहुंचाया है और इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। यह जीत हम सबकी है।’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए अनुरा कुमारा दिसानायके को बधाई दी। साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि वह भारत-श्रीलंका के बीच बहुआयामी सहयोग को और मजबूत करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं।

अनुरा कुमारा दिसानायके ने पीएम मोदी के बाधाई संदेश का जवाब दिया है। उन्होंने X पर पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए लिखा ‘प्रधानमंत्री मोदी, आपके दयालु शब्दों और समर्थन के लिए धन्यवाद। मैं हमारे देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की आपकी प्रतिबद्धता को साझा करता हूं। हम साथ मिलकर अपने लोगों और पूरे क्षेत्र के लाभ के लिए सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर सकते हैं।

यह जीत न केवल दिसानायके के लिए एक व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उनकी वामपंथी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना यानी जेवीपी के लिए भी एक अहम क्षण भी है। एक समय कट्टरपंथी हाशिये के समूह के रूप में देखे जाने वाले जेवीपी ने 1980 के दशक के क्रूर विद्रोह के दौरान श्रीलंकाई सेना के हाथों अपने सैकड़ों सशस्त्र विद्रोहियों को खो दिया था। जीत पार्टी के लिए एक नाटकीय बदलाव का संकेत है। यह अपने उग्रवादी अतीत से राष्ट्रीय राजनीति में एक वैध ताक़त बन गई है।

अनुरा दिसानायके को जल्द ही एक परिवर्तनकारी व्यक्ति के रूप में देखा जाने लगा, जो पार्टी को उसके कट्टरपंथी अतीत से बाहर निकालने में मदद करने में सक्षम था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक साल बाद 1998 में उन्हें जेवीपी केंद्रीय समिति और फिर इसकी राजनीतिक समिति में शामिल किया गया, जिससे पार्टी में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उनकी भूमिका मजबूत हुई।

Exit mobile version