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वक़्फ़ बिल पर जेपीसी का रवैया समझ से परे: पर्सनल लॉ बोर्ड

वक़्फ़ बिल पर जेपीसी का रवैया समझ से परे: पर्सनल लॉ बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक़्फ़ से संबंधित संशोधन बिल 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के रवैये की आलोचना करते हुए इसे संविधान और संसदीय नियमों का उल्लंघन बताया है। बोर्ड ने कहा है कि जेपीसी जिस तरह से वक़्फ़ संशोधन बिल पर काम कर रही है, उसमें पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रक्रियाओं का पूरी तरह से अभाव है। बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद क़ासिम रसूल इलियास ने कहा कि समिति को केवल वक़्फ़ से संबंधित संगठनों और लोगों की राय पर ध्यान देना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय, वह ऐसे संगठनों से सलाह ले रही है जिनकी वक़्फ़ के मामलों से कोई सीधा संबंध नहीं है।

जेपीसी पर आरोप: असंबंधित संगठनों को आमंत्रित किया गया
डॉ. इलियास ने आरोप लगाया कि जेपीसी ने न केवल केंद्रीय मंत्रालयों और पुरातत्व विभाग जैसी संस्थाओं को शामिल किया है बल्कि आरएसएस से जुड़े संगठनों और बार काउंसिल से भी राय ली है। उन्होंने कहा कि यह सभी नियमों का उल्लंघन है क्योंकि इस तरह के असंबंधित संस्थानों की राय से वक़्फ़ संपत्तियों के मुद्दों का सही समाधान नहीं मिल सकता है। इसके अलावा, कई ऐसे संस्थानों को भी आमंत्रित किया गया है जिनकी समाज में कोई विशेष मान्यता नहीं है, लेकिन उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है ताकि बिल के समर्थन में अधिक राय जुटाई जा सके। यह प्रक्रिया पारदर्शिता के विपरीत मानी जा रही है और मुस्लिम समुदाय के हितों की अनदेखी करने का प्रयास है।

विपक्ष का विरोध और पत्राचार
विपक्षी दलों के सांसदों ने भी जेपीसी के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को एक पत्र लिखा था जिसमें चेयरमैन जगदम्बिका पाल पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। विपक्ष का आरोप है कि जेपीसी की बैठकें इतनी जल्दी-जल्दी आयोजित की जा रही हैं कि उन्हें दी गई राय का गहराई से अध्ययन और विचार करने का अवसर भी नहीं मिल पा रहा है। विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि यह एक सोची-समझी रणनीति है ताकि बिल पर चर्चा के लिए समुचित समय न मिले और असंबंधित संगठनों की राय को प्राथमिकता देकर बिल को पारित कराने का रास्ता साफ किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में विपक्ष की राय की अनदेखी की जा रही है और उनके विचारों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

पर्सनल लॉ बोर्ड की आपत्तियाँ और सुझाव
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि जेपीसी को इस बिल पर केवल उन्हीं संगठनों और व्यक्तियों की राय लेनी चाहिए जिनका वक़्फ़ संपत्तियों से सीधा संबंध है। पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि वक़्फ़ संपत्तियों का संरक्षण मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है, और इस पर फैसला लेने के लिए निष्पक्ष और न्यायसंगत प्रक्रिया का पालन होना आवश्यक है। बोर्ड ने यह भी कहा कि वक़्फ़ संपत्तियों के मामलों को ऐसे लोगों से प्रभावित नहीं होने देना चाहिए जिनका इस मुद्दे से कोई सीधा सरोकार नहीं है।

बोर्ड ने मांग की है कि जेपीसी के कामकाज में पारदर्शिता लाई जाए और उसकी कार्यवाही को निष्पक्ष तरीके से संचालित किया जाए ताकि मुस्लिम समुदाय को न्याय मिल सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि इस बिल पर विस्तृत बहस होनी चाहिए और विपक्ष के सुझावों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए ताकि कोई विवाद न हो और वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की चिंता
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि जेपीसी के इस रवैये से मुस्लिम समुदाय में चिंता और असंतोष बढ़ रहा है। समुदाय को यह महसूस हो रहा है कि इस तरह के असंबंधित संगठनों की राय लेकर उनकी आवाज को दबाया जा रहा है और उनके हकों की अनदेखी की जा रही है। वक़्फ़ संपत्तियों का मुद्दा सिर्फ एक धार्मिक मामला नहीं है बल्कि यह एक संवैधानिक अधिकार है और इसके साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सरकार और संबंधित अधिकारियों से अपील की है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और सुनिश्चित करें कि इस बिल पर निर्णय लेते समय न्याय और निष्पक्षता का पालन किया जाए।

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