इस्माइल हानिया का ख़ून, फिलिस्तीन की आजादी का रास्ता साफ करेगा: खलील अल-हया
दोहा: इस्माइल हानिया की शहादत से शोक संतप्त फिलिस्तीनी, हमास के कार्यकर्ता और दुनिया भर में फिलिस्तीनी कारण से सहानुभूति रखने वालों को दिलासा देते हुए हमास के वरिष्ठ नेता खलील अल-हया ने कहा है कि “इस्माइल हानिया का खून बेकार नहीं जाएगा बल्कि जीत लाएगा।”
ग़ाज़ा में हमास के उपप्रमुख खलील अल-हया दोहा में इस्माइल हानिया की नमाजे जनाजा में भाग लेने वाले समूह के उच्च अधिकारियों में शामिल हैं। उन्हें हमास में हानिया के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में भी देखा जा रहा है। दोहा में उन्होंने शहीद नेता के कई रिश्तेदारों से मुलाकात की और संदेश दिया कि “हमें यकीन है कि उनका खून जीत, सम्मान और आजादी लाएगा।”
समाचार एजेंसी ‘एपी’ के अनुसार, अल-हया ने इस अवसर पर खुद इस्माइल हानिया की बात को दोहराते हुए जोर दिया कि फिलिस्तीन के लिए बलिदान देने वाला हर व्यक्ति महत्वपूर्ण और समान है। उन्होंने कहा कि हानिया युद्ध के दौरान ग़ाज़ा में मारे गए हजारों बच्चों से “बेहतर या प्यारे” नहीं थे।
इज़रायल का दावा है कि उसने हमास के आधे से अधिक नेतृत्व को समाप्त कर दिया है, हालांकि इस्माइल हानिया की शहादत के बाद फिलिस्तीन की आजादी की जद्दोजहद में शामिल विभिन्न समूह जिस तरह एक-दूसरे के साथ आ गए हैं, उसने तेल अवीव की नींद हराम कर दी है। अल जज़ीरा के प्रतिनिधि इमरान खान के अनुसार, वह इस बात पर बारीकी से नज़र रखे हुए हैं कि हानिया के दफन में किस-किस प्रतिरोधी समूह के कौन-कौन से नेता भाग ले रहे हैं।
इज़रायल की चिंता इस तथ्य से बढ़ गई है कि फिलिस्तीन के हर संगठन ने अपना कम से कम एक प्रतिनिधि क़तर भेजा है ताकि वह शहीद हमास नेता के दफन में भाग ले सके। उल्लेखनीय है कि इज़रायल की पूरी कोशिश रहती है कि फिलिस्तीन की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले विभिन्न संगठन आपस में टकराते रहें। इमरान खान के अनुसार, “फिलिस्तीनियों के मामले में इज़रायल की नीति “फूट डालो” और शासन करो की है। इसलिए उसने हमेशा कोशिश की है कि पश्चिमी किनारा और ग़ाज़ा राजनीतिक रूप से एकजुट न हो पाएं।”
अल जज़ीरा के प्रतिनिधि के अनुसार, “अब स्थिति बदल रही है, वे सभी (संगठनों के नेता) एक-दूसरे से बात कर रहे हैं जबकि इज़रायल किसी भी कीमत पर फिलिस्तीनियों का संयुक्त मोर्चा नहीं चाहता।” दूसरी ओर, इस्माइल हानिया की लंबे समय से इच्छा थी कि ये समूह एकजुट हो जाएं।
इस्माइल हानिया की हत्या की जांच के लिए ईरान में विशेष समिति का गठन
तेहरान के अत्यधिक सुरक्षा वाले क्षेत्र में घुसकर किए गए इस्माइल हानिया की हत्या की जांच के लिए ईरान सरकार ने विशेष समिति का गठन किया है। समिति में पासदाराने इंकलाब, खुफिया बल और पुलिस की जांच टीम के योग्य अधिकारियों को शामिल किया गया है। समिति को ईरान के हालिया इतिहास में खुफिया और सुरक्षा की इस सबसे बड़ी असफलता का जवाब ढूंढना है।
तेहरान में अल जज़ीरा की प्रतिनिधि दुरसा जबारी के अनुसार, “एक बात जो हम जानते हैं और जो हमने ईरान के विभिन्न संस्थानों के महत्वपूर्ण अधिकारियों से सुनी है, वह यह है कि ईरान इसका बहुत ही सख्त जवाब देने वाला है। हालाँकि, यह जवाब कैसा होगा इसका अब तक कोई अंदाजा नहीं है।” जबारी के अनुसार, पासदाराने इंकलाब से जो जानकारी मिली है उससे स्पष्ट है कि ईरान तो सीधे जवाब देगा ही, मध्य पूर्व में विभिन्न प्रतिरोधी समूह भी अपने-अपने तरीके से कार्रवाइयां करेंगे।
खालिद मशाल और तुर्की के रक्षा मंत्री की मुलाकात
शुक्रवार को इस्माइल हानिया के दफन से पहले तुर्की के रक्षा मंत्री हाकान फिदान ने हमास के कार्यकारी राजनीतिक प्रमुख खालिद मशाल से लंबी मुलाकात की। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि मुलाकात में शहीद इस्माइल हानिया के दो बेटे भी मौजूद थे जिनकी सेवा में मंत्री ने शोक व्यक्त किया।
इस्माइल हानिया की पत्नी ने शहीद पति को इस तरह अलविदा कहा
शहीद हमास प्रमुख इस्माइल हानिया के आख़री दर्शन के मौके पर उनकी पत्नी ने दुआ की कि “अल्लाह आपसे राज़ी हो मेरे हबीब, ग़ाज़ा के सभी शहीदों को मेरा सलाम कहना।” हमास प्रमुख का शव दोहा पहुंचा तो पत्नी ने भी अपने पति का अंतिम दर्शन किया।
उन्होंने शहीद पति को संबोधित करते हुए भावुक अंदाज में कहा कि “हमारे नेता शेख यासिन को भी मेरा सलाम कहना।” याद रहे कि शेख अहमद यासिन जिन्होंने हमास की स्थापना की थी, उन्हें भी इज़रायल ने 2004 में ग़ाज़ा में नमाज़-ए-फ़ज्र अदा करके मस्जिद से निकलते हुए हवाई हमले में शहीद कर दिया था। इस्माइल हानिया उस समय उनके खासमखास थे।