ईरान-रूस समझौते का ट्रंप के शपथ ग्रहण से कोई संबंध नहीं: क्रेमलिन
रूस के राष्ट्रपति भवन (क्रेमलिन) के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने स्पष्ट रूप से कहा कि ईरान और रूस के बीच व्यापक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर की तारीख का अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से कोई संबंध नहीं है। पेस्कोव ने बुधवार को क्रेमलिन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से तय किया गया है और इसे किसी तीसरे पक्ष या उसकी राजनीतिक गतिविधियों से जोड़कर देखना अनुचित है।
उन्होंने कहा, “ईरान और रूस के व्यापक रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर की तारीख को ट्रंप के सत्ता में आने के करीब चुनने को लेकर जो अटकलें लगाई जा रही हैं, वे केवल हास्यास्पद हैं। यह सब साजिश की काल्पनिक कहानियां हैं, जिन्हें गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है।”
पेस्कोव ने यह भी बताया कि ईरान और रूस के बीच यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को एक नई दिशा प्रदान करेगा। यह समझौता रूस के लिए अत्यधिक महत्व रखता है, और इसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की योजना के तहत प्राथमिकता दी गई है।
स्पूतनिक समाचार एजेंसी के मुताबिक, पेस्कोव ने व्यंग्य करते हुए कहा, “इस समझौते पर हस्ताक्षर के समय को लेकर बनाई जा रही षड्यंत्रकारी कहानियां केवल गपशप का हिस्सा हैं।” उन्होंने आगे जोड़ा कि मॉस्को और तेहरान के बीच इस सहयोग को वैश्विक राजनीति की घटनाओं से जोड़ने का कोई आधार नहीं है।
इससे पहले, ईरान के उप विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने बताया था कि ईरान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मसूद पेज़ेश्कियान करेंगे, जो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर मॉस्को की यात्रा करेंगे। उन्होंने कहा, “यह दौरा पूरी तरह से द्विपक्षीय है और इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक, राजनैतिक और रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करना है।”
इस यात्रा में ईरान का एक बड़ा आर्थिक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होगा, जो विभिन्न क्षेत्रों में संभावित समझौतों पर चर्चा करेगा। क्रेमलिन ने इस यात्रा को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि यह रूस और ईरान के बीच दीर्घकालिक सहयोग का हिस्सा है, जिसे अगले स्तर पर ले जाया जा रहा है।
यह समझौता ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और ईरान के बीच तनावपूर्ण संबंधों की पृष्ठभूमि में रूस और ईरान एक-दूसरे के लिए मजबूत साझेदार बन रहे हैं। दोनों देश इस समझौते को न केवल आर्थिक बल्कि भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानते हैं।