गोवा में बीजेपी नेता ने अपनी ही सरकार के खिलाफ रिश्वतखोरी का बड़ा आरोप लगाया
गोवा की भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। वरिष्ठ भाजपा नेता और गोवा के पूर्व मंत्री पांडुरंग मडकाइकर ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उन्होंने एक मंत्री के निजी सहायक (पीए) को उनकी फाइल को मंजूरी दिलाने के लिए लगभग 20 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। उनके इस खुलासे से राजनीतिक हलकों में नई बहस छिड़ गई है।
पांडुरंग मडकाइकर ने एक बयान में बेबाकी से आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की कैबिनेट के मंत्री पैसे गिनने में व्यस्त हैं। मडकाइकर के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के परिवहन मंत्री और भाजपा नेता मोविन गोडिन्हो ने संवाददाताओं से कहा कि “मडकाइकर को पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए और उस मंत्री का नाम बताना चाहिए जिसके कर्मचारियों को उन्होंने भुगतान किया।”
गोडिन्हो का कहना है कि लोकतंत्र में यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग न हो। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी भी बात पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। हर कोई उन्हें (मेडकाइकर) अच्छी तरह से जानता है, उन्हें अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए कि उनके कार्यकाल के दौरान क्या हुआ। गोडिन्हो ने भी कटुता से कहा, “मेरी उनको सलाह है कि जो लोग शीशे के घरों में रहते हैं, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।”
विपक्षी पार्टी आप ने मडकाइकर के दावे को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना की है और पुलिस से इस संबंध में मामला दर्ज करने की मांग भी की है। गोवा आप प्रमुख अमित पल्लीकर ने बुधवार को इस संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और मांग की कि पणजी पुलिस मडकाइकर के बयान पर संज्ञान ले और एफआईआर दर्ज करे। पल्लीकर ने यह भी कहा कि पुलिस को पूर्व मंत्री से यह जानकारी मांगनी चाहिए कि उन्होंने वास्तव में मंत्री केपीए को कितनी रिश्वत दी थी।
उल्लेखनीय है कि मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाली पिछली कैबिनेट में मंत्री रहे मडकाईकर ने मंगलवार शाम गोवा में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष से मुलाकात की थी। मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों के बीच संतोष ने मंगलवार को मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत सहित राज्य भाजपा नेताओं के साथ बैठक की।
इसके बाद पत्रकारों से बात करते हुए मडकाइकर ने आरोप लगाया कि “सावंत के नेतृत्व वाली कैबिनेट के मंत्री पैसे गिनने में व्यस्त हैं।” “मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैंने खुद अपनी फाइल पास कराने के लिए एक मंत्री केपीए को 15-20 लाख रुपये दिए थे।”