हमास ने अपनी सैन्य ताकत फिर से हासिल की: यदीअवत आहरोनोत की रिपोर्ट
हिब्रू भाषा के प्रमुख इज़रायली अखबार यदीअवत आहरोनोत ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इज़रायली सेना के मुख्यालय के उच्चस्तरीय सैन्य अधिकारियों के हवाले से खुलासा किया है कि ग़ाज़ा पट्टी में हमास ने अपनी सैन्य क्षमताओं को फिर से मजबूत कर लिया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कैदियों की अदला-बदली के समझौते में विफलता के कारण इज़रायली सेना के रणनीतिक उद्देश्यों पर गंभीर असर पड़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, हमास ने ग़ाज़ा पट्टी के कई इलाकों में अपनी सैन्य ताकत को पुनः स्थापित कर लिया है। हालांकि, इज़रायली सेना ने हमास को कमजोर करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए हैं, लेकिन बंधकों की मौजूदगी ने सेना की कार्यवाहियों को सीमित कर दिया है।
यदीअवत आहरोनोत ने इज़रायली सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से बताया कि हमास की गिरफ्त में मौजूद इज़रायली बंधक इस संगठन के सैन्य पतन को असंभव बना रहे हैं। बंधकों की सुरक्षा को लेकर इज़रायली सेना को ग़ाज़ा के उन क्षेत्रों में कार्रवाई करने से रोक दिया गया है, जहां इनकी उपस्थिति की संभावना है।
कैदियों की अदला-बदली का संकट
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इज़रायली सेना ने अपने राजनीतिक नेतृत्व को स्पष्ट रूप से सूचित किया है कि कैदियों की अदला-बदली के लिए समझौता नहीं होना हमास को कमजोर करने के अवसर को बाधित कर रहा है। जिन क्षेत्रों में बंधकों की मौजूदगी का संदेह है, वहां सेना कोई मजबूत कार्रवाई नहीं कर पा रही है। इज़रायली अधिकारियों का मानना है कि बंधकों को मुक्त किए बिना हमास के सैन्य और राजनीतिक ढांचे को पूरी तरह से नष्ट करना संभव नहीं होगा।
इज़रायली हमलों में नरसंहार
इजरायल की सेना द्वारा ग़ाज़ा पर निरंतर किए जा रहे हमलों से न केवल बंधकों की स्थिति प्रभावित हो रही है, बल्कि ग़ाज़ा के नागरिकों पर इसका भयंकर प्रभाव पड़ रहा है। कल उत्तरी ग़ाज़ा के बैत लाहिया इलाके में इज़रायली सेना द्वारा किए गए एक बर्बर हमले में कम से कम 60 फिलिस्तीनी शहीद हो गए। इनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। इसके अलावा, दर्जनों अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए। यह हमला ग़ाज़ा के नागरिकों पर इजरायली सेना की आक्रामक रणनीति का एक और उदाहरण है।
बंधकों की सुरक्षा और सेना की सीमाएं
यदीअवत आहरोनोत ने आगे कहा कि इज़रायली सेना का आकलन है कि जब तक हमास की गिरफ्त से बंधकों को छुड़ाया नहीं जाता, तब तक इस संगठन के शासन को खत्म करना नामुमकिन होगा। ग़ाज़ा के कुछ क्षेत्रों में बंधकों की मौजूदगी की वजह से सेना ने पिछले कुछ महीनों में वहां किसी भी बड़े सैन्य अभियान को अंजाम नहीं दिया है।
इसके अलावा, सेना की बमबारी के कारण अब तक कई इज़रायली बंधक भी मारे जा चुके हैं। यह स्थिति इज़रायली सेना और राजनीतिक नेतृत्व के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है।
इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि ग़ाज़ा पट्टी में हमास ने अपनी सैन्य ताकत को पुनः स्थापित कर लिया है, और इज़रायली सेना के लिए यह एक बड़ी रणनीतिक चुनौती है। बंधकों की अदला-बदली में विफलता और हमास की सैन्य क्षमताओं का पुनर्निर्माण इजरायल के लिए ग़ाज़ा में प्रभावी कार्रवाई को सीमित कर रहा है। इस बीच, ग़ाज़ा के नागरिक लगातार इज़रायली हमलों का खामियाजा भुगत रहे हैं, जिससे क्षेत्र में स्थिति और अधिक जटिल हो गई है।