रियाद बैठक में हमास की अरब और इस्लामी देशों से अपील
हमास ने अपने एक ताज़ा बयान में अरब और इस्लामी देशों से क़ुद्स शहर की यहूदीकरण से रक्षा के लिए ठोस और ज़िम्मेदारीपूर्ण कदम उठाने का आह्वान किया है। हमास ने कहा कि यह सम्मेलन इस विषय पर समर्पित होना चाहिए कि कैसे इज़रायल के संगठित यहूदीकरण और क़ुद्स में जारी अत्याचारों को रोका जा सके।
रियाद में होने वाला यह शिखर सम्मेलन अरब और इस्लामी नेताओं का संयुक्त प्रयास होगा, जो 11 नवंबर 2024 को आयोजित किया जा रहा है। सऊदी अरब ने 30 अक्टूबर को इस शिखर सम्मेलन का प्रस्ताव रखते हुए इसे फिलिस्तीन और लेबनान की जमीन पर इज़रायली आक्रमणों और क्षेत्रीय संकटों पर चर्चा के लिए अहम बताया है।
हमास के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य हारून नासरुद्दीन ने कहा कि “इस्लामी देशों को अब क़ुद्स के प्रति अपनी धार्मिक, राजनीतिक और नैतिक ज़िम्मेदारी निभाने की ज़रूरत है। यह पवित्र शहर चरमपंथी इज़रायली सरकार के संगठित यहूदीकरण का सामना कर रहा है, जो इसे इस्लामी पहचान से मिटाने का प्रयास कर रहा है।”
नासरुद्दीन ने इस बात पर जोर दिया कि इस्लामी देशों के पास वैश्विक राजनीति में वह साधन और प्रभाव है, जिससे वे इज़रायल पर दबाव बनाकर उसके अत्याचारों को रोक सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों का सुझाव दिया, जिनसे इज़रायल पर अंकुश लगाया जा सके और फिलिस्तीनी जनता और इस्लामी पवित्र स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
हमास ने पिछली इस्लामी बैठकों के निर्णयों को लागू करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिनमें अल-कुद्स और अल-अक्सा मस्जिद की वर्तमान स्थिति में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध किया गया था। नासरुद्दीन ने विभिन्न इस्लामी देशों से यह अनुरोध भी किया कि वे अल-कुद्स में स्थापित अपने दूतावासों को वापस बुलाएं, ताकि इस कदम के जरिए एक सशक्त संदेश दिया जा सके।
इसके साथ ही, हमास ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इस्लामी देशों को कूटनीतिक स्तर पर एकजुट होकर कार्य करना चाहिए। बयान में कहा गया कि केवल बयानबाजी से कुछ हासिल नहीं होगा; इस्लामी देशों को ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि फिलिस्तीनी लोगों की पीड़ा को कम किया जा सके और इज़रायल के अत्याचारों का निर्णायक जवाब दिया जा सके।