संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर जुमे की नमाज़, ‘न्यूयॉर्क वार क्राइम्स’ का वितरण
पिछले दिन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) मुख्यालय के बाहर हज़ारों लोग फ़िलिस्तीन के समर्थन में इकट्ठा हुए। जुमे का समय होने पर मुसलमानों ने नमाज़-ए-जुमा अदा की। एक स्वयंसेवक ने “द न्यूयॉर्क (वार) क्राइम्स” की कॉपियाँ बांटीं। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की 80वीं वार्षिक बैठक चल रही है जिसमें दुनिया के लगभग सभी देशों के प्रतिनिधि एकत्र हैं और वैश्विक स्तर पर चल रहे विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
इस बैठक में ग़ाज़ा युद्ध और यूक्रेन युद्ध से लेकर जलवायु परिवर्तन और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसे अहम विषयों पर बहस हो रही है ताकि ठोस कदमों से इन समस्याओं का समाधान किया जा सके। लेकिन इस साल सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक यूएन मुख्यालय के बाहर सिर्फ़ इसलिए इकट्ठा हुए कि वे फ़िलिस्तीन के लिए अपना समर्थन दिखा सकें और ग़ाज़ा पर इज़रायली हमले रोकने की आवाज़ वैश्विक नेताओं तक पहुँचा सकें।
इस प्रदर्शन में ब्रिटेन के मशहूर संगीतकार रोजर वॉटर्स, जिन्होंने पिंक फ़्लॉइड की नींव रखी थी, शामिल हुए। साथ ही कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो भी मौजूद थे, जिन्होंने ग़ाज़ा में इज़रायल की नरसंहार मुहिम रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय फ़ोर्स तैनात करने की माँग की।
यूएन मुख्यालय के बाहर जुमे की नमाज़
पिछले दिन हज़ारों लोग यूएन मुख्यालय के बाहर जमा थे और ग़ज़ा में हो रहे नरसंहार को बंद करने की माँग कर रहे थे। प्रदर्शनकारी केफ़ियेह पहनकर फ़िलिस्तीनी झंडे लहरा रहे थे और “आज़ाद फ़िलिस्तीन” के नारे लगा रहे थे। उन्हें यूएन भवन में प्रवेश से रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात था। लेकिन ये आवाज़ें अचानक उस समय थम गईं जब जुमे की नमाज़ का वक़्त हुआ। प्रदर्शन में मौजूद मुसलमानों ने यूएन मुख्यालय के सामने नमाज़-ए-जुमा अदा की और ग़ाज़ा के हक़ में दुआएँ मांगीं। इस दौरान अन्य धर्मों के लोग ख़ामोशी से उनके चारों तरफ खड़े रहे।
“द न्यूयॉर्क (वार) क्राइम्स”
उसी दिन “द न्यूयॉर्क टाइम्स” के इज़रायल समर्थक प्रोपेगंडे के ख़िलाफ़ एक स्वयंसेवक ने यूएन में दाख़िल हो रहे लोगों को “द न्यूयॉर्क (वार) क्राइम्स” की कॉपियाँ बाँटीं और कहा कि, इसमें छपी ख़बरें और लेख ग़ाज़ा में मौजूद पत्रकारों ने लिखे हैं और यही असली सच है।
स्पष्ट रहे कि न्यूयॉर्क वार क्राइम्स महीने में दो बार प्रकाशित होता है जिसमें ख़ासतौर पर ग़ाज़ा युद्ध को कवर किया जाता है या ऐसे लेख छपते हैं जिन पर न्यूयॉर्क टाइम्स प्रोपेगंडा करता है। यह अख़बार एनवाईटी के “झूठ” को उजागर करने के लिए शुरू किया गया है। इसे उन लेखकों और पत्रकारों ने शुरू किया जो ग़ाज़ा युद्ध के विरोधी हैं। इसका पहला अंक नवंबर 2023 में प्रकाशित हुआ था जिसमें उस समय तक ग़ाज़ा में मारे गए 7 हज़ार लोगों के नाम दर्ज थे। इसकी वेबसाइट भी मौजूद है।

