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ग़ाज़ा में इज़रायली सेना की क्रूरता और लेबनान पर हमले के बाद इज़रायल में इमरजेंसी

ग़ाज़ा में इज़रायली सेना की क्रूरता और लेबनान पर हमले के बाद इज़रायल में इमरजेंसी

ग़ाज़ा पर एक साल से जारी बर्बरता और लेबनान में हिज़्बुल्लाह से जारी संघर्ष को देखते हुए, इज़रायल में एक सप्ताह के लिए इमरजेंसी लागू कर दी गई है। विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नेतन्याहू प्रशासन ने हमास और हिज़्बुल्लाह से हो रही झड़पों के बाद पूरे देश में विशेष “होम फ्रंट सिचुएशन” यानी आपातकाल की घोषणा की है। इज़रायली कैबिनेट ने देश में ‘विशेष परिस्थितियों’ को लागू करने की मंजूरी दी है, जो 30 सितंबर तक प्रभावी रहेगी। यह कदम उस समय उठाया गया है जब इज़रायल ने ग़ाज़ा और लेबनान पर आक्रामक हमले तेज कर दिए हैं।

विशेष रूप से लेबनान में, इज़राइल की आक्रामकता का स्तर गंभीर हो चुका है। लेबनान में हो रहे हमलों में इज़रायली वायुसेना अब तक हिज़्बुल्लाह के 800 से अधिक ठिकानों पर हवाई हमले कर चुकी है। इन हमलों में लगभग 500 से ज़्यादा निर्दोष लोग मारे गए हैं, जबकि 1000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। इज़रायल इन हमलों को हिज़्बुल्लाह के खिलाफ अपनी सुरक्षा का नाम देकर सही ठहराता है, जबकि यह स्पष्ट है कि इज़राइल की यह नीति लेबनानी क्षेत्र पर कब्ज़ा जमाने की दिशा में एक स्पष्ट कदम है।

यह भी ध्यान देने वाली बात है कि, इस समय पूरे इज़रायल में नेतन्याहू प्रशासन के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन चल रहा है। नेतन्याहू के ख़िलाफ़ यह विरोध प्रदर्शन इज़रायल के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन है, जिसमें सात लाख से ज़्यादा लोग नेतन्याहू के विरोध में सड़क पर उतर चुके हैं। प्रदर्शनकारी नेतन्याहू को ‘प्राइम मिनिस्टर’ की जगह ‘क्राइम मिनिस्टर’ की उपाधि भी दे चुके हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि, क़रीब एक साल पूरे होने को हैं, लेकिन नेतन्याहू अब तक हमास के क़ब्ज़े से बंधकों को नहीं छुड़ा सकें। उनका आरोप है कि, नेतन्याहू केवल अपनी सत्ता बचाने के लिए इज़रायल को जंग की आग में झोंक रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि, नेतन्याहू, इमरजेंसी लगाकर इज़रायल में अपने विरुद्ध होने वाले विरोध प्रदर्शन को छुपाना चाहते हैं।

इज़रायल की यह आक्रामक नीति केवल हिज़्बुल्लाह के खिलाफ नहीं है, बल्कि पूरे लेबनान के नागरिकों के खिलाफ है, जो अपने घरों और इलाकों में शांति और सुरक्षा के साथ जीने की कोशिश कर रहे हैं। इज़रायली सेना द्वारा बेक़ा घाटी के नागरिकों को धमकी दी जा रही है कि वे तुरंत अपने इलाके खाली कर दें, जिससे स्पष्ट होता है कि इज़रायल न केवल हिज़्बुल्लाह को निशाना बना रहा है, बल्कि लेबनान के नागरिकों की आज़ादी और सम्प्रभुता को भी खतरे में डाल रहा है। इससे पहले इज़रायली सैनिक अल जज़ीरा ब्यूरो को भी जबरन बंद करवा चुके हैं।

हिज़्बुल्लाह, जो लेबनान की सुरक्षा और स्वाधीनता की प्रतीक है, इन आक्रमणों का विरोध कर रहा है और अपने देश की सुरक्षा के लिए खड़ा है। इज़रायल द्वारा किए जा रहे हवाई हमलों और इन धमकियों के बावजूद, लेबनान ने अपने समर्थन के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सहायता की अपील की है। लेबनान के क्षेत्रीय संप्रभुता और उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए यह लड़ाई केवल हिज़्बुल्लाह की नहीं, बल्कि लेबनान की जनता की भी है, जो इज़रायली बर्बरता का सामना कर रही है।

इज़रायल द्वारा घोषित यह इमरजेंसी और हमलों में वृद्धि लेबनान के खिलाफ इज़रायली विस्तारवादी योजनाओं का हिस्सा प्रतीत होती है। इज़रायल की इस कार्रवाई को लेबनान पर अनैतिक और अवैध हमला कहा जा सकता है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करना और लेबनानी नागरिकों को आतंकित करना है। लेबनान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस आक्रामकता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और निष्पक्षता की मांग की है, ताकि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा बहाल हो सके। हिज़्बुल्लाह का कहना है कि, इस्लामी दुनिया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस समय एकजुट होकर लेबनान के समर्थन में खड़ा होना चाहिए, ताकि इज़रायली हमले को रोका जा सके और लेबनान के नागरिकों को इस बर्बरता से बचाया जा सके।

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