बिहार विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश, तेज विकास का दावा
बिहार की विकास दर विभिन्न उतार-चढ़ाव के बावजूद लगातार दो अंकों में बनी हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट भी इसी बात का दावा कर रही है। उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने शुक्रवार को बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा में यह रिपोर्ट पेश की। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि राज्य की अर्थव्यवस्था 2011-12 में 2.47 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 के वित्तीय वर्ष में 8.54 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, यानी इसमें साढ़े तीन गुना वृद्धि हुई है।
दूसरी बार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर रहे सम्राट चौधरी ने विकास दर में बढ़ोतरी को केंद्र की सहायता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रभावी नेतृत्व क्षमता का नतीजा बताया। उन्होंने दावा किया कि विकास दर के मामले में तेलंगाना के बाद बिहार देश में दूसरे स्थान पर है, वह भी मात्र 0.3% के मामूली अंतर से। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए वर्तमान मूल्यों पर बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) अनुमानित रूप से 8,54,429 करोड़ रुपये है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 14.5% अधिक है।
इसी अवधि में प्रति व्यक्ति आय भी 12.8% की वृद्धि के साथ 66,828 रुपये होने का अनुमान है। यह अनुमान मौजूदा कीमतों के आधार पर है, जबकि स्थिर कीमतों के आधार पर यह राशि 7.6% की वृद्धि के साथ 36,333 रुपये होती है। राज्य की अर्थव्यवस्था में व्यापार और सेवा क्षेत्र का योगदान लगभग 59% है, लेकिन आज भी अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है। कोरोना काल के दौरान, जब विकास दर में गिरावट आई थी, तब इस क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था को संभालने में अहम भूमिका निभाई थी। अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 20% है। धान और गेहूं के साथ-साथ मक्के के उत्पादन में भी लगातार वृद्धि हो रही है।
वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि वित्तीय संसाधनों के उचित प्रबंधन के माध्यम से कई विकास संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त किया गया है। राजस्व में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही सरकार के राजस्व और पूंजी खाते में भी इजाफा हो रहा है, जो बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2023-24 के बीच पूंजी खाते के व्यय में तीन गुना वृद्धि हुई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार संसाधनों पर अधिक खर्च कर रही है। भविष्य में इन्हीं संसाधनों के आधार पर राज्य को लाभ मिलेगा। बजट का बड़ा हिस्सा सामाजिक सेवाओं पर खर्च किया जा रहा है, जो 2023-24 में बढ़कर 83,225 करोड़ रुपये हो गया है।