डेमोक्रेट सीनेटर का ट्रंप से सवाल, ईरान पर हमले का मक़सद क्या था?”
मशहूर डेमोक्रेट सीनेटर ने ईरान पर अमेरिका द्वारा किए गए हमले की आलोचना करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सवाल किया है कि, ईरान पर हमले का आपका असली मक़सद क्या था? उन्होंने ईरान पर हालिया सैन्य कार्रवाई को लेकर ट्रंप की रणनीतिक सोच पर गंभीर संदेह जताया है। मर्फ़ी के अनुसार, ट्रंप ने न तो फ़ोर्दो को नष्ट किया, न ही ईरान के संवर्धित यूरेनियम को, बस अमेरिका को ख़तरे में डाला।
कनेक्टिकट से सीनेटर मर्फी ने सोशल मीडिया पर ट्रंप को सीधी चुनौती देते हुए कहा:
“अगर आपने फोर्दो परमाणु सुविधा को नष्ट नहीं किया, ईरान के समृद्ध यूरेनियम भंडार को खत्म नहीं किया, एक राजनयिक समझौता तोड़ दिया, ईरान और रूस को पहले से भी ज़्यादा करीब ला दिया, और हमारे सभी सैनिकों को खतरे में डाल दिया, तो फिर आपका हमला करने का मक़सद आखिर था क्या?”
सीनेटर मर्फी की ये टिप्पणी उस समय आई है जब वॉशिंगटन में ईरान के साथ बढ़ते सैन्य तनावों को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। ट्रंप प्रशासन को पहले ही 2015 के ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) से हटने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी है, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता का सिलसिला शुरू हो गया।
ईरान के क़ुम प्रांत में स्थित फोर्दो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट एक कड़ी सुरक्षा वाली भूमिगत यूरेनियम संवर्धन सुविधा है। अमेरिका के समझौते से हटने के बाद ईरान ने यहां फिर से संवर्धन शुरू कर दिया।
सीनेटर मर्फी, जो कूटनीतिक समाधान के समर्थक माने जाते हैं, ने कहा कि ट्रंप की रणनीति उल्टा असर दिखा रही है। उन्होंने कहा: “ईरान को अलग-थलग करने के बजाय ट्रंप की नीतियों ने तेहरान में आपसी एकजुटता को और मज़बूत कर दिया और इसके साथ ही ईरान-रूस संबंधों को और भी गहरा बना दिया।”
इस टिप्पणी से साफ है कि, अमेरिका के अंदर ही कई वरिष्ठ नेता अब यह मानने लगे हैं कि ईरान के विरुद्ध दबाव की नीति ने उल्टा असर दिखाया है, और इस्लामी गणराज्य न केवल डटा हुआ है, बल्कि पहले से कहीं ज़्यादा संगठित, मज़बूत और समर्थ बनकर उभरा है।

