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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की शिकायत जन अभियान में तब्दील

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की शिकायत जन अभियान में तब्दील

हैदराबाद: देश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में धांधली की लगातार आ रही शिकायतों के बाद यह एक जन अभियान बनता जा रहा है और समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा ईवीएम के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के अलावा महमूद प्राचा समेत कई अन्य प्रमुख वकीलों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं और भारत के चुनाव चुनाव को इन मशीनों के साथ छेड़छाड़ साबित करने की चुनौती दी है।

महमूद प्राचा ने कहा कि 5 जनवरी को वरिष्ठ वकीलों के अलावा इस संबंध में जानकारी रखने वाला नागरिकों का एक प्रतिनिधिमंडल, भारत के चुनाव आयोग से संपर्क करेगा और चुनाव आयोग के अधिकारियों से इन मशीनों के परिणामों के साथ छेड़छाड़ को साबित करने के लिए 50 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें प्रदान करने का अनुरोध करेगा। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक का वीडियो शेयर किया है जिसमें वैज्ञानिक का दावा है कि भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ की जा सकती है।

प्रशांत भूषण के वीडियो के अलावा महमूद प्राचा और अन्य वकीलों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को लेकर चलाए जा रहे अभियान में कहा जा रहा है कि सत्तारूढ़ दल देश भर में चुनाव नतीजों को प्रभावित करने के लिए ईवीएम के साथ यथासंभव छेड़छाड़ कर रहा है। यह लोकतंत्र को खत्म करने के बराबर है। कुछ दिन पहले ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर ईवीएम में सुधार किए बिना चुनाव होंगे तो भारतीय जनता पार्टी को 400 से ज्यादा सीटें जीतने से कोई नहीं रोक सकता।

सुप्रीम कोर्ट के वकीलों का कहना है कि देश में लोकतंत्र की रक्षा और उसके अस्तित्व के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को खारिज कर उनकी जगह बैलेट पेपर सिस्टम बहाल करना जरूरी है। बताया जाता है कि देश के विचारशील नागरिकों ने राजनीतिक दलों के नेताओं से भी अनुरोध किया है कि वे लोकतंत्र में जनता का विश्वास बनाये रखने के लिए मतपत्र प्रणाली की अनिवार्य वापसी के समर्थन में अभियान का समर्थन करें ताकि चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को हटाने के के लिए मजबूर किया जा सके।

महमूद प्राचा ने कहा कि 2017 में चुनाव आयोग ने कहा था कि अगर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में कोई खामी है या उनसे छेड़छाड़ की जा सकती है, तो इसे एक प्रयोग और उदाहरण के जरिए दिखाया जाना चाहिए। चुनाव आयोग की इसी अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए, सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने चुनाव आयोग से 50 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के साथ छेड़छाड़ साबित करने की इजाज़त मांगी है।

उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह अपने देश में लोकतांत्रिक सिद्धांतों को सुनिश्चित करने और मतदान प्रक्रिया के बारे में लोगों के बीच संदेह को दूर करने के उपाय करे और इसके लिए वोटिंग मशीन उपलब्ध कराए, ताकि इस अभियान में शामि नागरिक और वकील स्वयं यह साबित कर सकें कि भारत में उपयोग की जा रही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के अलावा देशभर के अलग-अलग राज्यों के प्रमुख नागरिक भी ईवीएम को लेकर संदेह जता रहे हैं और कई प्रमुख पत्रकार भी देश के 5 राज्यों में हुए चुनाव नतीजों पर संदेह जता रहे हैं।

जनता की राय में विरोधाभास के बाद वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर भी भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इसी तरह राजनीतिक दलों के नेता भी इस अभियान का समर्थन करने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि यह अभियान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के खिलाफ शुरू हुआ है। यह किसी खास संगठन या राजनीतिक दल द्वारा आयोजित नहीं है, बल्कि अग्रणी विचारशील नागरिकों के अलावा सुप्रीम कोर्ट के वकील भी इस अभियान का हिस्सा हैं जो देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष में शामिल रहे हैं।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।

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