कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र महमूद ख़लील कीअदालत से रिहाई की अपील
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र महमूद ख़लील, जिन्हें कैंपस में फ़िलिस्तीन समर्थक गतिविधियों के चलते निर्वासन (डिपोर्टेशन) का सामना करना पड़ रहा है, ने अपनी लगातार हिरासत से हो रहे “अपूरणीय नुकसान” का हवाला देते हुए अदालत में रिहाई की गुहार लगाई है। ख़लील ने गुरुवार को अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों में बताया कि लुइज़ियाना में महीनों की हिरासत के दौरान सबसे गहरा और दिल तोड़ने वाला नुकसान अप्रैल में अपने पहले बच्चे के जन्म के समय अपनी पत्नी के साथ न होना था।
ख़लील ने लिखा:
“डिलीवरी रूम में अपनी पत्नी का हाथ थामने के बजाय मैं हिरासत केंद्र की फर्श पर दुबका बैठा था, जबकि वह अकेले प्रसव पीड़ा से जूझ रही थीं। जब मैंने अपने बेटे की पहली आवाज़ सुनी, तो मैंने अपना चेहरा बाजुओं में छिपा लिया ताकि कोई मुझे रोता हुआ न देखे।”
ख़लील ने हिरासत के कारण अपने करियर पर पड़े संभावित विनाशकारी असर का भी ज़िक्र किया, यह बताते हुए कि ऑक्सफैम इंटरनेशनल पहले ही उन्हें पॉलिसी एडवाइज़र की नौकरी से हटा चुका है। उनका यह भी कहना था कि उनकी माँ का वीज़ा, जो नवजात बच्चे की देखभाल में मदद करने के लिए अमेरिका आने वाली थीं, अब संघीय जांच के अधीन है।
उन्होंने लिखा:
“सीरिया में अपने राजनीतिक विचारों और पहचान के कारण जिस व्यक्ति को कानूनी कार्रवाई से भागना पड़ा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अमेरिका में आव्रजन हिरासत में रहूंगा। हजारों मासूम फ़िलिस्तीनियों की निर्मम हत्या के विरोध में प्रदर्शन करने पर मेरे संवैधानिक अधिकार छीनने का औचित्य क्या है?”
ख़लील का 13 पन्नों का बयान उनके वकीलों द्वारा अदालत में दाखिल किए गए कई दस्तावेज़ों का हिस्सा था, जिसमें उनकी गिरफ्तारी के व्यापक नकारात्मक प्रभावों को रेखांकित किया गया। उनकी अमेरिकी नागरिक पत्नी, डॉ. नूर अब्दुल्ला, ने भी अपने बेटे के जन्म और पहले हफ्तों में पति के अनुपस्थित रहने की कठिनाइयों का ज़िक्र किया।
कोलंबिया विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रोफेसरों ने लिखा कि ख़लील की गिरफ्तारी ने कैंपस के माहौल में डर भर दिया है, जिससे लोग विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने या ट्रंप प्रशासन के आलोचक माने जाने वाले समूहों से जुड़ने से हिचक रहे हैं।

