पंचायत चुनाव के सहारे बीएसपी अपना वोटबैंक मज़बूत करने में जुटी
आगामी 7 सितंबर को लखनऊ में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सभी प्रदेश पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी संस्थापक कांशीराम के 9 अक्टूबर को होने वाले परिनिर्वाण दिवस की तैयारियों पर चर्चा होगी। साथ ही, पंचायत चुनाव की रणनीति और प्रत्याशियों के चयन को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। मायावती इस दौरान संगठन को और चुस्त-दुरुस्त करने के लिए पदाधिकारियों को टास्क सौंप सकती हैं।
दरअसल बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) एक बार फिर उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन पर अपनी खोई हुई ताकत को वापस पाने के लिए तैयार है। अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव में पार्टी पूरे दम-खम के साथ उतरने की रणनीति बना रही है। लंबे समय बाद बीएसपी गांव-गांव में अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए सक्रिय हो रही है, जिसका लक्ष्य न केवल पंचायत चुनाव में जीत हासिल करना है बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत जमीन तैयार करना भी है।
लोकसभा चुनाव के बाद बीएसपी ने संगठन को मजबूत करने के लिए कैडर कैंपों पर फोकस किया है। इन कैंपों के जरिए पार्टी गांव-गांव में अपनी पहुंच बढ़ा रही है। सैकड़ों की संख्या में लोग इन कैंपों में बीएसपी की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी न केवल नए लोगों को जोड़ रहे हैं, बल्कि अन्य दलों के असंतुष्ट नेताओं को भी बीएसपी के साथ लाने में जुटे हैं। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पंचायत चुनाव की तैयारियां और तेज की जाएंगी।
पंचायत चुनाव बीएसपी के लिए केवल स्थानीय स्तर पर जीत का मसला नहीं है, बल्कि यह 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए एक मजबूत आधार तैयार करने का मौका है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत पकड़ बनाकर बीएसपी न केवल अपनी सियासी ताकत को पुनर्जन्म दे सकती है, बल्कि दलित और पिछड़े वर्गों के बीच अपनी विश्वसनीयता को भी फिर से स्थापित कर सकती है।
लंबे समय बाद बीएसपी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सक्रिय और आक्रामक रुख के साथ मैदान में उतर रही है। पंचायत चुनाव में पार्टी की रणनीति और मेहनत न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में उसकी साख को बहाल कर सकती है, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी को एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में पेश कर सकती है। 7 सितंबर की बैठक में तय होने वाली रणनीति इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।

