ईरान पर हमला अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है: अमेरिकन आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन
अमेरिका की ‘आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन’ के कार्यकारी निदेशक डेरिल किम्बल ने रूस की समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती से बात करते हुए स्पष्ट किया कि अमेरिका और इज़राइल, दोनों परमाणु हथियारों से लैस देश द्वारा ईरान जैसे देश पर हमला करना, जिसके पास कोई परमाणु हथियार नहीं है, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है।
उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के गैरकानूनी हमलों से यह खतरा पैदा हो जाएगा कि, अन्य देश भी परमाणु हथियारों के विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं ताकि परमाणु ताकतों से खुद की रक्षा कर सकें। उन्होंने कहा कि परमाणु अप्रसार (non-proliferation) के लक्ष्य को पाने के लिए साधनों का चयन भी बहुत अहम है।
इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि, अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों – नतंज, फोर्दो और इस्फहान – पर सफल ऑपरेशन किया है। ट्रंप ने इस हमले को जायज़ ठहराते हुए कहा कि इसका मकसद ईरान की परमाणु क्षमताओं को सीमित करना था, और चेतावनी दी कि यदि ईरान “इस युद्ध को खत्म करने” के लिए तैयार नहीं हुआ, तो उसे और गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
ईरानी अधिकारियों के अनुसार, इस्फहान और फोर्दो के परमाणु ठिकानों को हवाई हमलों का निशाना बनाया गया था, लेकिन इससे पहले ईरान ने अपनी समृद्ध यूरेनियम सामग्री को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया था। संसद ने भी स्पष्ट किया कि फोर्दो साइट पर हमले की आशंका पहले से थी और उसे खाली कर दिया गया था, इसलिए कोई अपूरणीय क्षति नहीं हुई।
ईरान की परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने भी स्पष्ट किया कि इन हमलों के बावजूद परमाणु कार्यक्रम का विकास नहीं रुकेगा। इस हमले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अमेरिका के इसहमले को क्षेत्र में एक खतरनाक उकसावा और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए सीधा ख़तरा बताया।
क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिगेज पर्रिला ने अमेरिका की इस कार्रवाई को आपराधिक, गैर-जिम्मेदाराना और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया और कहा कि इसके गंभीर और अनिश्चित परिणाम हो सकते हैं।
अमेरिका के भीतर भी इस हमले की आलोचना हुई। रिपब्लिकन सांसद थॉमस मैसी ने इसे अमेरिकी संविधान के खिलाफ बताया। वहीं डेमोक्रेट सांसद एलेक्ज़ान्द्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ ने कहा कि यह कार्रवाई राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने का आधार बन सकती है।

