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न्यूक्लियर विरोधी संगठन ने हिरोशिमा-नागासाकी हमलों में मारे गए 38 हज़ार बच्चों को श्रद्धांजलि दी

न्यूक्लियर विरोधी संगठन ने हिरोशिमा-नागासाकी में मारे गए  बच्चों को श्रद्धांजलि दी

अगले महीने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले की 80वीं बरसी से पहले, नोबेल पुरस्कार विजेता न्यूक्लियर विरोधी संगठन “इंटरनेशनल कैम्पेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वेपन्स” (ICAN) ने मंगलवार को अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बम से मारे गए 38,000 बच्चों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है।

आईसीएएन ने अपने बयान में कहा कि इस स्मृति मंच पर 400 बच्चों की ज़िंदगी की झलकियाँ, उनकी दर्दनाक मौत और उनके परिवारों पर पड़े प्रभाव को दिखाया गया है। संगठन ने कहा, “हम इन हृदय विदारक कहानियों के ज़रिए बच्चों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं और मौजूदा वैश्विक हालात को देखते हुए न्यूक्लियर हथियारों पर प्रतिबंध की अपील करते हैं।”

गौरतलब है कि अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकीपर परमाणु बम गिराए थे। नागासाकी में इस हमले में लगभग 74,000 लोग मारे गए थे, जबकि हिरोशिमा में मरने वालों की संख्या 1,40,000 तक पहुंच गई थी, जिनमें कई वे भी थे जो हमले के तुरंत बाद तो बच गए थे लेकिन बाद में घायल होकर जान गंवा बैठे। दोनों शहरों के अधिकारियों ने बताया था कि इन हमलों से कुल लगभग 2,10,000 लोग प्रभावित हुए थे, जिनमें 38,000 बच्चे शामिल थे। अमेरिका ने इन हमलों के लिए आज तक कभी माफ़ी नहीं मांगी।

नए डिजिटल मंच पर जाकर उपयोगकर्ता ‘क्रेन आइकन’ के ज़रिए बच्चों की प्रोफ़ाइल पढ़ सकते हैं। इन 426 प्रोफ़ाइलों में से 132 बच्चों की तस्वीरें भी शामिल हैं, जिनकी उम्र नवजात से लेकर छोटे बच्चों तक की है। इनमें ‘तादाको तेमिनो’ नाम की बच्ची भी शामिल है, जिसकी मौत हिरोशिमा पर हमले के दो दिन बाद मां की गोद में हुई थी। नागासाकी के हमले में ‘मिज़ोमाची’ परिवार के छह बच्चे मारे गए थे, केवल 14 साल की एक लड़की ‘साचिको’ ही ज़िंदा बची थी।

यह पहल ऐसे समय की गई है जब हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर संभावित हमलों की तुलना हिरोशिमा और नागासाकी से की थी। हेग में दिए अपने बयान में उन्होंने कहा था, “अगर आप हिरोशिमा और नागासाकी को देखें तो पाएंगे कि वहां भी युद्ध ऐसे ही खत्म हुआ था।” इस बयान के बाद हिरोशिमा के पीड़ितों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने विरोध में एक छोटा प्रदर्शन किया। शहर की विधानसभा ने ट्रंप के बयान की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव भी पास किया था।

बता दें कि आईसीएएन को 2017 में शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। यह पुरस्कार ‘निहोन हिदानक्यो’ नामक संगठन को मिला था, जिसमें हिरोशिमा और नागासाकी के बचे हुए पीड़ित शामिल हैं।

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