अमेरिका अब चीन को जेट इंजन नहीं बेचेगा
रॉयटर्स की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने चीन की सरकारी एयरोस्पेस कंपनी COMAC को LEAP-1C जेट इंजन और अन्य हाईटेक तकनीकों के निर्यात को स्थगित कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब चीन ने हाल ही में अमेरिका को दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर सख्ती बरती है। ये खनिज सेमीकंडक्टर और हाईटेक उद्योगों के लिए बेहद अहम माने जाते हैं।
LEAP-1C इंजन अमेरिकी कंपनी GE Aerospace और फ्रांसीसी कंपनी Safran के संयुक्त सहयोग से विकसित किया गया है। इसे चीन के घरेलू यात्री विमान C919 के लिए तैयार किया गया था, जो कि एयरबस A320 और बोइंग 737 जैसे विमानों को टक्कर देने के लिए लाया गया है। हालांकि C919 को पिछले साल से ही चीन के हवाई बेड़े में शामिल कर लिया गया है, लेकिन इसकी तकनीकी निर्भरता अभी भी पश्चिमी देशों पर बनी हुई है, खासकर इंजन और अन्य अहम पुर्जों के मामले में।
अमेरिका द्वारा इस निर्यात पर रोक ऐसे समय में लगाई गई है जब वाशिंगटन और बीजिंग के बीच टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्रियल वर्चस्व को लेकर प्रतिस्पर्धा नई ऊंचाई पर पहुंच चुकी है। इस बीच, वॉशिंगटन में स्थित चीनी दूतावास ने अमेरिका के इस कदम की कड़ी निंदा की है और इसे “आर्थिक दमन” तथा “राष्ट्रीय सुरक्षा का बहाना बनाकर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में चीन को रोकने की साजिश” करार दिया है।
यह निर्णय संकेत देता है कि अमेरिका अब रणनीतिक तकनीकों की पहुंच को हथियार बना रहा है ताकि वह चीन की तकनीकी प्रगति को सीमित कर सके, खासकर एविएशन और सेमीकंडक्टर जैसे अहम क्षेत्रों में। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह टकराव वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को और भी अधिक प्रभावित कर सकता है।

