अमेरिका और इंग्लैंड का यमन के हज्जा प्रांत पर आक्रमण
यमन के हज्जा प्रांत में अमेरिकी और ब्रिटिश विमानों द्वारा किए गए आक्रमण की जानकारी एक सुरक्षा स्रोत ने दी है। इस स्रोत के अनुसार, इन आक्रमणों में दोनों देशों के लड़ाकू विमानों ने यमन के मदी जिले के बहीस क्षेत्र को निशाना बनाया। यह हमला यमन में हालात और युद्ध के बढ़ते तनाव के बीच हुआ है। इस प्रकार के हमले पिछले कुछ समय से बढ़ गए हैं, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों पर विदेशी ताकतों के हमले जारी हैं।
इसके अलावा, इसी सुरक्षा स्रोत ने बताया कि कल भी यमन के अल-हुदैदा प्रांत के अल-तहिता जिले पर आक्रामक हमले किए गए थे। ये हमले यमन के स्थानीय नागरिकों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए किए गए। इस आक्रमण के बाद स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल बन गया है और तनाव और बढ़ गया है।
अमेरिका और इंग्लैंड के द्वारा किए गए ये हमले, 12 जनवरी को हुई एक बड़ी सैन्य कार्रवाई का हिस्सा हैं। उस दिन, दोनों देशों ने यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के खिलाफ एक बड़े हमले की शुरुआत की थी। यह हमले इस कारण किए गए थे क्योंकि अंसारुल्लाह ने इज़रायल से जुड़े जहाजों पर हमले किए थे। इन हमलों के दौरान, अंसारुल्लाह ने इज़रायली जहाजों को निशाना बनाया था, जो कि इन देशों के लिए गंभीर चिंता का कारण बन गया था।
यमन में इस संघर्ष के जवाब में, अंसारुल्लाह ने अपने हमलों का दायरा बढ़ा दिया है। अब यह संगठन न केवल इज़रायल से जुड़े जहाजों, बल्कि अमेरिकी और ब्रिटिश जहाजों को भी अपना लक्ष्य बना रहा है। अंसारुल्लाह का कहना है कि ये हमले उनकी रक्षा के लिए आवश्यक हैं और ये उनके अधिकार का हिस्सा हैं, जो वे अपने देश और लोगों की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं।
इन हमलों के बावजूद, यमन में स्थिति अब भी बहुत जटिल और तनावपूर्ण बनी हुई है। संघर्ष का प्रभाव आम नागरिकों पर भी पड़ा है, जिनकी ज़िंदगियों में लगातार खौफ और असुरक्षा बनी हुई है। यमन के विभिन्न प्रांतों में युद्ध और बमबारी की स्थिति बढ़ती जा रही है, और इसके परिणामस्वरूप नागरिकों के लिए दैनिक जीवन और उनके अस्तित्व की समस्याएँ बढ़ रही हैं। इन हालात में, अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर यमन के संघर्ष और इससे उत्पन्न संकटों को हल करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, यह संघर्ष अंतरराष्ट्रीय राजनैतिक दबाव और सैन्य हस्तक्षेपों के बीच अभी भी अनसुलझा है।