आप हरियाणा में भी वोट ‘कटवा पार्टी’ साबित हुई

आप हरियाणा में भी वोट ‘कटवा पार्टी’ साबित हुई

हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत से हैट्रिक लगाई है। हरियाणा में भाजपा रुझानों में कुल 49 विधानसभा सीटों पर जीत चुकी है। इस चुनाव में जहां कांग्रेस सत्ता में वापसी करने में नाकाम रही तो वहीं पंजाब और दिल्ली में शासन करने वाली आम आदमी पार्टी को भी हरियाणा विधानसभा चुनाव में जबरदस्त झटका लगा है। ये नतीजे दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले आये हैं।

हरियाणा में आप ने 89 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। उसका कहीं खाता नहीं खुला। चुनाव आयोग के मुताबिक राज्य में आप को कुल 1.77 फीसदी वोट मिले। दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर में आप को एक सीट मिली है। आम आदमी पार्टी के मेराज मलिक ने डोडा विधान सीट जीत ली है। मलिक ने दिसंबर 2020 में स्थानीय निकाय चुनावों में भी आप को जम्मू-कश्मीर में पहली बार चुनावी जीत दिलाई थी।

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) से आने वाले और पंजाबी समुदाय ताल्लुक रखने वाले मनोहर लाल खट्टर के प्रति लोगों की नाराजगी को भाजपा ने भांप लिया। खट्टर 9.5 साल तक हरियाणा के सीएम रहे। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से केवल छह महीने पहले यानी मार्च 2024 में खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया। यह भाजपा का हरियाणा की करीब 44 प्रतिशत ओबीसी आबादी को अपनी ओर करने का सफल दांव साबित हुआ।

हरियाणा में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने आप से गठबंधन करने के खिलाफ राय दी थी। हालांकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी इसके पक्ष में थे। राहुल का मानना था कि इससे वोटों का विभाजन रुक जाएगा और विपक्ष के पास बीजेपी को हराने का सबसे अच्छा मौका है। लेकिन बाद में आप की ओर से बयानबाजी ने गठबंधन की संभावनाओं को किनारे कर दिया।

गठबंधन की चर्चाओं के विफल होने से कांग्रेस को सात सीटों – कलायत, रानिया, पेहवा, बरवाला, जींद, भिवानी और गुड़गांव में नुकसान होने की उम्मीद थी, लेकिन स्पष्ट नतीजे आने पर पता चलेगा कि इन सीटों पर आप कितना प्रभाव डाल पाई है। हालांकि अभी जो रुझान हैं उसमें कांग्रेस और भाजपा का ही दबदबा है। तीसरे नंबर पर निर्दलीय हैं। आप का कहीं कोई जिक्र नहीं है।

हरियाणा के नतीजे आप के लिए इसलिए मायने रखते हैं कि दिल्ली के चुनाव में उतरने पर वो अपने वोट शेयर का जिक्र कर सकती थी। लेकिन चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि 2019 जैसी दोहराने की उम्मीद लग रही है। हालांकि आम आदमी पार्टी को अब हरियाणा में ‘वोट कटवा’ पार्टी के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस से ज़्यादा सीटों की मांग कर आप हरियाणा में अपना जनाधार बढ़ाना चाह रही थी, लेकिन उसका यह दांव अब उल्टा पड़ गया है।

हरियाणा का प्रदर्शन हरियाणा के नतीजे ऐसे समय आ रहे हैं जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी है और अपनी लोकप्रियता पर भरोसा करते हुए कहा है कि वह यह पद तभी संभालेंगे जब अगले साल विधानसभा चुनाव के बाद आप सरकार बनाएगी। लेकिन तस्वीर बदल चुकी है। दिल्ली में हरियाणा के लोगों की आबादी काफी है। बहुत बड़ी संख्या में लोग सरकारी नौकरियों में हैं। आप हरियाणा के इन लोगों से दिल्ली में किस आधार पर अब वोट मांगेगी।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।

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