हमास द्वारा ट्रंप की योजना को सशर्त मंज़ूरी मिलने पर यमन की प्रतिक्रिया
ट्रंप द्वारा प्रस्तावित युद्ध-विराम योजना पर हमास की सशर्त सहमति के बाद, यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन ने इस क़दम को ग़ाज़ा को बचाने के लिए एक ज़िम्मेदाराना पहल बताया। इसी के साथ यमन की सशस्त्र सेनाओं ने फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के प्रति वफ़ादारी जताते हुए अपने हमलों को रोकने की शर्तें घोषित कीं।
अंसारुल्लाह के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद अल-फ़रह ने कहा कि, ट्रंप की योजना पर हमास की प्रतिक्रिया एक ज़िम्मेदाराना रवैया है, जिसका मक़सद आक्रामकता रोकना, भूखमरी समाप्त करना और ग़ाज़ा की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि, यह प्रतिक्रिया फ़िलिस्तीनी राष्ट्रीय एकता और स्थायी सिद्धांतों की हिफ़ाज़त करती है और यह दर्शाती है कि हमास, फ़िलिस्तीनी जनता के आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध है। अल-फ़रह ने इसे एक वास्तविकतापूर्ण, लागू करने योग्य और लचीला रुख़ बताया, जो मानवीय समाधानों को स्वीकार करने की तैयारी को दिखाता है।
उन्होंने आगे कहा कि, ग़ाज़ा में संघर्ष की किसी भी तरह की बढ़ोतरी, नरसंहार और फ़िलिस्तीनियों को भूखा रखने की साज़िश है, और इसके लिए अमेरिका और इज़रायल पूरी तरह ज़िम्मेदार हैं।
दूसरी ओर, यमन की सशस्त्र सेनाओं ने हमास और इस्लामिक जिहाद के लड़ाकों को संबोधित करते हुए बयान में कहा: “हम बातचीत के विवरण में हस्तक्षेप नहीं करते, क्योंकि इस मामले में निर्णय लेना आपका हक़ है। लेकिन हम अपने वचन पर क़ायम हैं; जिस तरह हमारे सैन्य अभियान आपकी मांग पर शुरू हुए थे, वे सिर्फ़ आपकी ही मांग पर रुकेंगे और जब भी आप चाहेंगे, फिर से शुरू होंगे।”
यमन की सेनाओं ने क़ुरान के सूरह शुअरा की आयत 227 का हवाला देते हुए यह भी कहा: “आपकी क़िस्मत ही हमारी क़िस्मत है, और हम जीत या शहादत तक आपके साथ रहेंगे। ज़ालिम जल्द जान लेंगे कि उनका अंजाम क्या होने वाला है।”
ग़ौरतलब है कि हमास ने आधिकारिक तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की युद्ध-विराम योजना पर अपनी सशर्त सहमति और मध्यस्थों के ज़रिए बातचीत की तैयारी का ऐलान किया है। यह योजना ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध ख़त्म करने और बंधकों की रिहाई के लिए मिस्र और क़तर की मध्यस्थता से पेश की गई थी।

