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यमनी सेना अमेरिकी और ब्रिटेन के वहशियाना हमले का जवाब देने के लिए तैयार

यमनी सेना अमेरिकी और ब्रिटेन के वहशियाना हमले का जवाब देने के लिए तैयार

शनिवार दोपहर को अमेरिकी और ब्रिटिश युद्धक विमानों ने यमन की राजधानी सना को निशाना बनाकर हवाई हमले किये जिसमें 23 नागरिकों की मौत हो गयी। यमनी सेना देश के विभिन्न इलाकों में अमेरिकी और ब्रिटिश हवाई हमलों का बड़े पैमाने पर जवाब देने की तैयारी कर रही है।

अल-मयादीन नेटवर्क ने एक रिपोर्ट में घोषणा की कि यमनी सेना अमेरिका और इंग्लैंड के अपराध का जवाब देने की तैयारी कर रही है। अल-मयादीन नेटवर्क ने सना में अपने संवाददाता के हवाले से घोषणा की कि यमनी सेना देश के विभिन्न क्षेत्रों पर अमेरिकी और ब्रिटिश हवाई हमलों का बड़े पैमाने पर जवाब देने की तैयारी कर रही है।

यमनी विद्वानों ने पहले एक बयान में घोषणा की थी कि इस संदर्भ में संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड की आक्रामकता के विरुद्ध जिहाद और उनका मुकाबला करना एक धार्मिक कर्तव्य और धार्मिक दायित्व है। इस बयान आगे कहा गया हकि, यमनी कमांडरों, नेताओं औरसशस्त्र बलों दारा इस आक्रामकता का जवाब केेवल एक वैध और कानूनी अधिकार नहीं, वल्कि एक दायित्व भी है।

यमनी उलेमा असेंबली गाजा पट्टी की सहायता और समर्थन को एक अपूरणीय इस्लामी और मानवीय सिद्धांत के रूप में मानती रही, जिस पर दबाव, धमकी, हवाई हमले और मनोवैज्ञानिक युद्ध का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

इस बयान में, यमनी उलेमा असेंबली ने कहा: यह धार्मिक कर्तव्य केवल समाज के सदस्यों द्वारा ही निभाया जा सकता है, और इसे निभाना हर स्वतंत्र, उत्साही और सक्षम यमनी और मुस्लिम के लिए अनिवार्य है।

यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के राजनीतिक कार्यालय ने भी पहले एक बयान में घोषणा की थी कि सना के आवासीय इलाकों पर अमेरिकी और ब्रिटिश हमला एक शत्रुतापूर्ण और आपराधिक कृत्य है।

इस बयान में कहा गया है: आम नागरिकों और उनके आवास को निशाना बनाना बड़े पैमाने पर युद्ध अपराध है और इस युद्ध अपराध का विरोध करने वाले देशों यह हमला, अमेरिकी आतंक का एक और सुबूत है।

यमन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में घोषणा की कि सना अपनी पूरी ताकत और क्षमताओं के साथ किसी भी आक्रामकता से अपनी रक्षा करेगी।

अल-मसीरा नेटवर्क के अनुसार, इस बयान में यमन के विदेश मंत्रालय ने नागरिक आवासीय क्षेत्रों पर संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड की आक्रामकता की निंदा की और इसे यमन की संप्रभुता और स्थिरता का स्पष्ट उल्लंघन माना।

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