यमन का इजरायल पर क्रूज मिसाइलों से हमला
यमन की सशस्त्र सेनाओं के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याहया सरी ने हाल ही में घोषणा की कि यमन की मिसाइल शक्ति ने इजरायल के खिलाफ एक साहसिक कदम उठाते हुए तीन ‘कुद्स-5’ क्रूज मिसाइलों का उपयोग कर कब्जे वाले फिलिस्तीन में स्थित इजरायली सैन्य ठिकानों पर हमला किया है। यह हमला एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह यमन की ओर से इजरायल पर किए गए पहले गंभीर हमलों में से एक है। सरी के अनुसार, ये मिसाइलें लक्ष्यों को सफलतापूर्वक भेदने में सफल रहीं, हालांकि इजरायली पक्ष ने इस हमले के परिणामों को लेकर चुप्पी साध रखी है और अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
याहया सरी ने इस हमले को ईरान द्वारा इजरायल के खिलाफ चलाए गए “वादा-ए-सादिक 2” अभियान के साथ जोड़ते हुए इस ऑपरेशन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यमन की सशस्त्र सेनाएँ पूरी तरह से तैयार हैं और किसी भी समय इजरायल के खिलाफ होने वाले किसी भी सैन्य अभियान में शामिल हो सकती हैं, चाहे वह फिलिस्तीनी और लेबनानी जनता की स्वतंत्रता और उनकी विजय के लिए हो। उनका यह बयान यह संकेत देता है कि यमन और इजरायल के बीच संघर्ष अब केवल क्षेत्रीय मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष का हिस्सा बन गया है, जिसमें अन्य क्षेत्रीय शक्तियाँ भी शामिल हो रही हैं।
सरी ने आगे चेतावनी दी कि अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा इजरायल के प्रति जारी समर्थन न केवल इस क्षेत्र में शांति के लिए खतरा है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप इन देशों के हितों को भी यमन और उसके सहयोगी समूहों के हमलों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने इस समर्थन की कड़ी आलोचना की और कहा कि जब तक इजरायल द्वारा लेबनान और गाजा पट्टी पर आक्रमण बंद नहीं किया जाता, तब तक यमन अपनी सैन्य कार्रवाइयों को जारी रखेगा।
इस हमले से यह भी स्पष्ट होता है कि यमन, जो अब तक मुख्य रूप से सऊदी गठबंधन के साथ अपने आंतरिक संघर्ष में उलझा हुआ था, अब इजरायल के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गया है। इसने इस संघर्ष को और भी जटिल बना दिया है, क्योंकि अब इसमें अधिक क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय तत्व शामिल हो गए हैं।
याहया सरी का बयान यमन की इस रणनीति का भी हिस्सा है कि वह इजरायल और उसके समर्थकों को चेतावनी दे कि वह क्षेत्रीय संघर्षों में सीधे हस्तक्षेप से पीछे नहीं हटेगा। इस घटना ने इजरायल के खिलाफ बढ़ते क्षेत्रीय मोर्चे को भी उजागर किया है, जिसमें ईरान, लेबनान, फिलिस्तीन और अब यमन जैसे देश शामिल हो रहे हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि आने वाले समय में क्षेत्रीय तनाव और भी बढ़ सकता है।