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ट्रंप जीतें या हैरिस, ग़ाज़ा में नेतन्याहू का अत्याचार जारी रहेगा

ट्रंप जीतें या हैरिस, ग़ाज़ा में नेतन्याहू का अत्याचार जारी रहेगा

अमेरिका: मंगलवार को आयोजित पहले राष्ट्रपति बहस में डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच ग़ाज़ा युद्ध और इज़रायल-फिलिस्तीन विवाद प्रमुख मुद्दे बने रहे। बहस के दौरान, ट्रम्प ने कमला हैरिस पर इज़रायल विरोधी विचारधारा रखने का आरोप लगाया, जिससे एक गंभीर राजनीतिक बहस छिड़ गई।

ट्रम्प ने आरोप लगाया कि कमला हैरिस इज़रायल से नफरत करती हैं और यदि वह राष्ट्रपति चुनी जाती हैं, तो इज़रायल का अस्तित्व दो वर्षों के भीतर समाप्त हो जाएगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था, तब कमला हैरिस ने उनके साथ मुलाकात तक नहीं की थी। इसके जरिए ट्रम्प ने हैरिस पर इज़रायल के प्रति असंवेदनशील होने का गंभीर आरोप लगाया।

ट्रम्प ने ग़ाज़ा युद्ध के संदर्भ में कहा कि अगर वह राष्ट्रपति होते, तो यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। उनका मानना था कि उनका नेतृत्व इज़रायल और मध्य पूर्व के लिए अधिक स्थिरता प्रदान करता। उन्होंने यह भी कहा कि हैरिस न केवल इज़रायल, बल्कि अरबों से भी नफरत करती हैं और उनके नेतृत्व में पूरा मध्य पूर्व संकट में आ सकता है। ट्रम्प ने अपनी बयानबाजी को और आगे बढ़ाते हुए कहा कि हैरिस, अरब और इज़रायल दोनों को खत्म कर देंगी।

कमला हैरिस ने इन आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया और कहा कि उनका पूरा राजनीतिक जीवन इज़रायल और उसकी जनता के समर्थन में समर्पित रहा है। उन्होंने कहा कि इज़रायल को अपनी रक्षा का पूरा अधिकार है, चाहे वह ईरान हो या कोई और संगठन। लेकिन उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी पर नेतन्याहू सरकार द्वारा, मासूम बच्चों, औरतों, बुज़ुर्गों और नवजवानों के खुल्लम खुल्ला नरसंहार पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने यह भी नहीं बताया कि, पूरे मिडिल ईस्ट में अशांति फैलाने वाले इज़रायल को किस तरह की सुरक्षा की ज़रुरत है?

उन्होंने जोर देकर कहा कि, इज़रायल को अपनी रक्षा का पूरा अधिकार है इस रक्षा को किस प्रकार संचालित किया जाए, यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि निर्दोष नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों, का जीवन सुरक्षित रहे। कमला हैरिस ने इज़रायल की सुरक्षा पर बार बार ज़ोर दिया लेकिन यह नहीं बताया कि, इज़रायली अत्याचार और आतंकवाद से ग़ाज़ा के मासूम बच्चों की सुरक्षा कौन करेगा? उनकी ज़मीन, जिस पर इज़रायल ने अतिक्रमण कर रखा है उसे वापस कौन दिलाएगा? कब फ़िलिस्तीनी अपनी ज़मीन पर खुलकर चैैन की सांस ले सकेंगे?

हैरिस ने यह भी कहा कि ग़ाज़ा-युद्ध में फिलिस्तीनी नागरिकों, खासकर बच्चों और महिलाओं की मौतें बेहद चिंताजनक हैं, और वह चाहती हैं कि इस संघर्ष का समाधान जल्द हो, लेकिन यह समाधान किस तरह होगा, उस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा । उन्होंने युद्ध के बीच बंधकों की रिहाई और स्थायी शांति के लिए एक समझौता करने की दिशा में निरंतर प्रयास करने का वादा किया।

हैरिस ने अंत में अपना स्पष्ट दृष्टिकोण पेश करते हुए कहा कि फिलिस्तीन-इज़रायल संघर्ष को समाप्त करने के लिए दो-राज्य समाधान ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने कहा कि यह समाधान न केवल इज़रायल की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि फिलिस्तीनी जनता को भी न्याय दिलाने का एकमात्र तरीका है।

इस बहस ने अमेरिका में इज़रायल-फिलिस्तीन मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया। ट्रम्प ने अपनी कठोर बयानबाजी के जरिए हैरिस की इज़रायल के प्रति नीतियों पर सवाल उठाया, जबकि हैरिस ने खुद को एक संतुलित दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया, जो न केवल इज़रायल की सुरक्षा को महत्व देता है, बल्कि फिलिस्तीनियों के लिए न्याय की बात भी करता है।

इस मुद्दे पर दोनों नेताओं की राय ने अमेरिकी जनता के बीच इस संवेदनशील विषय पर एक व्यापक चर्चा को जन्म दिया है कि, चाहे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ट्रंप जीतें या हैरिस, ग़ाज़ा में नेतन्याहू का अत्याचार, और ग़ाज़ा के मज़लूमों का नरसंहार  जारी रहेगा। नेतन्याहू द्वारा होने वाले अत्याचार पर तत्काल रोक लगाने की बजाय केवल अमेरिका में सत्ता की रोटियां सकी जाएंगी।

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