हम सीरियाई सेना के अफ़सरों की पीछा करेंगे: अल-जौलानी

हम सीरियाई सेना के अफ़सरों की पीछा करेंगे: अल-जौलानी

अबू मुहम्मद अल-जौलानी , जो सीरिया में अल-नुसरा फ्रंट (जो अब हयात तहरीर अल-शाम के नाम से जाना जाता है)का कमांडर है, ने एक बयान में कहा कि वह उन सभी सैन्य अफसरों और सुरक्षा अधिकारियों का पीछा करेगा जो सीरिया के नागरिकों के खिलाफ अत्याचारों में शामिल थे। उसका कहना था कि सीरिया में संघर्ष के दौरान, विशेष रूप से राष्ट्रपति बशार अल-असद के शासन के तहत, कई सैन्य अधिकारियों और सुरक्षा बलों ने युद्ध अपराधों को अंजाम दिया। अल-जौलानी ने ये भी स्पष्ट किया कि उनके समूह की प्राथमिकता उन अपराधियों को न्याय दिलाना है जो अब अन्य देशों में छिपे हुए हैं।

अल-जौलानी ने यह भी कहा कि वे “लिस्ट नंबर 1” जारी करेंगे, जिसमें उन प्रमुख सैन्य अधिकारियों और सुरक्षा अधिकारियों के नाम होंगे जो सीरिया के नागरिकों के खिलाफ अत्याचार करने में शामिल थे। इस लिस्ट में उन व्यक्तियों के नाम होंगे जिनके खिलाफ बलात्कार, हत्या, टॉर्चर और अन्य प्रकार के युद्ध अपराधों के आरोप हैं। इसके अलावा, जो लोग इन अधिकारियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, उन्हें पुरस्कार दिए जाएंगे। उनका कहना था कि वे किसी भी व्यक्ति को इन उच्चाधिकारियों के बारे में जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, जो सीरिया में युद्ध अपराधों में शामिल थे।

माफ़ी और दया का प्रस्ताव
अल-जौलानी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके समूह ने उन सैनिकों और अधिकारियों के लिए माफ़ी की पेशकश की है, जो इस संघर्ष में शामिल थे लेकिन जिन्होंने सीरिया के लोगों के खिलाफ अत्याचार नहीं किए थे। उन्होंने कहा, “हमने उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है जिनके हाथ सीरिया के लोगों के खून से सने नहीं हैं। हम उनके साथ दया से पेश आएंगे और उन्हें बचने का एक मौका देंगे।” यह बयान उन लोगों के लिए एक राहत का संदेश हो सकता है जो संघर्ष में सैन्य सेवा में थे, लेकिन जिनका सीधे तौर पर युद्ध अपराधों में हाथ नहीं था।

8 दिसंबर को दमिश्क़ पर कब्ज़ा
8 दिसंबर को विद्रोहियों ने दमिश्क में प्रवेश किया। 11 दिनों तक चली संघर्ष की मुठभेड़ के बाद, विद्रोही समूहों ने सीरिया की राजधानी को अपने नियंत्रण में ले लिया। इस दौरान, सीरियाई सेना ने कोई बड़ी प्रतिरोध नहीं किया, और सत्ता की स्थिति बहुत तेज़ी से बदल गई। इसके साथ ही, सीरिया के राष्ट्रपति बशार अल-असद भी गुप्त रूप से रूस में पनाह लेने के लिए देश छोड़कर भाग गए। यह घटना सीरिया की वर्तमान स्थिति को बदलने में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसमें असद सरकार का अंत और विद्रोही समूहों का प्रभाव बढ़ा।

प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय प्रभाव
अल-जोलानी का यह बयान सीरिया की नागरिक संघर्षों के बीच महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीरिया में अन्य सैन्य ताकतों के लिए एक स्पष्ट संदेश भेजता है कि युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा। इसके अलावा, इस प्रकार के बयान सीरिया में स्थिति को बदलने और नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी का एहसास दिलाने का एक तरीका हो सकते हैं। इसके अलावा, बशर अल-असद की पनाहगिरी ने क्षेत्रीय राजनीति पर प्रभाव डाला है और रूस के साथ सीरिया के रिश्तों को और मजबूत किया है।

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