इज़रायली हमलों का जवाब देने से हम पीछे नहीं हटेंगे: अब्बास इराक़ची
ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने इज़रायल की ओर से ईरान के कुछ सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों के बारे में कहा कि हमें हमले से पहले की रात से ही इस हमले की संभावना के संकेत मिल गए थे, और हमने ये संकेत और जानकारी सैन्य क्षेत्र के अपने साथियों को लगातार पहुंचाई थी।
विदेश मंत्री ने कहा कि उसी रात विभिन्न पक्षों के साथ संदेशों का आदान-प्रदान भी हुआ। शायद रात 12 बजे से लेकर 1 बजे तक हम संदेशों का आदान-प्रदान और अपनी सैन्य टीम को आखिरी जानकारी और विश्लेषण भेजने में लगे हुए थे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि हम रात के 3:30 से 4 बजे तक जाग रहे थे जब हमले हुए और हम जरूरी संदेश भेजते रहे और जो कार्यवाही होनी थी उसे पूरा किया।
जब उनसे पूछा गया कि क्या विदेश मंत्रालय को इन हमलों के बारे में पता था? तो उन्होंने कहा, “हम हमेशा अपने चारों ओर हो रही गतिविधियों पर नज़र रखते हैं और हमें जो संकेत मिले, उनसे यह स्पष्ट था कि यह हमला होने वाला है।”
ईरान के पास हमले का जवाब देने का पूरा अधिकार सुरक्षित है
उन्होंने कहा कि “इस्लामी गणराज्य ईरान की हर पहल, मैदान और कूटनीति के बीच पूरी समन्वय के साथ होती है, जो हमारे दुश्मनों की नीतियों का मुकाबला करती है और उन्हें अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर करती है।”
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि “पिछले कुछ हफ्तों में हमारी विदेश नीति सक्रिय रही, जैसे कि हमारी सैन्य ताकतें आवश्यक तैयारियों में जुटी थीं। इस्लामी गणराज्य ईरान की संपूर्ण शक्ति, चाहे वह मैदान में हो या कूटनीति में, दुश्मनों की धमकियों का सामना करने में सक्षम रही।”
इराक़ची ने कहा कि “हम पर हमला किया गया, लेकिन जितना उन्होंने प्रचार किया और दिखाया, उतना प्रभावी नहीं था। हमारी सैन्य ताकतों ने अच्छा मुकाबला किया, हालांकि कुछ हानि हुई और हमारे कुछ बहादुर सैनिक शहीद हो गए।”
उन्होंने कहा कि “हम निश्चित रूप से अपने शहीदों के खून को व्यर्थ नहीं जाने देंगे और ईरान के पास अपने क्षेत्र पर किए गए हमले का जवाब देने का पूरा अधिकार सुरक्षित है। इस पर हम कभी समझौता नहीं करेंगे और सही समय पर इसका जवाब दिया जाएगा।”
विदेश मंत्री ने एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए कहा कि “ईरान और अमेरिका के बीच संदेशों के आदान-प्रदान के लिए तेहरान में स्विस दूतावास मौजूद है, और जब भी आवश्यक होगा, हम इसका इस्तेमाल करते हैं। हमें अलग-अलग मध्यस्थों की आवश्यकता नहीं है।”
उन्होंने कहा कि “जो देश हमसे संपर्क कर रहे हैं, वे ईरान के प्रति समर्थन और इस्राइल के हमले की निंदा के लिए हैं। क्षेत्र की स्थिति अभी भी अस्थिर और संकटपूर्ण है, और परामर्श जारी रखना बिल्कुल स्वाभाविक है।”
यूरोपीय संघ का रुख
एक और सवाल का जवाब देते हुए, इज़रायल के हमले के बाद यूरोपीय संघ के रुख पर इराक़ची ने कहा, “यूरोपीय देश इज़रायल के समर्थक हैं और अमेरिका की तरह ही इज़रायल को वित्तीय, सैन्य, राजनीतिक और कानूनी सहायता प्रदान कर रहे हैं। यूरोपीय देशों ने भी इज़रायल को हथियार, राजनीतिक समर्थन और वित्तीय मदद दी है।”
विदेश मंत्री ने कहा कि “वे इज़रायल के कई अपराधों में सहभागी हैं, इसलिए यूरोपीय संघ का ऐसा रुख हमें हैरान नहीं करता।” इराक़ची ने फिर से तीनों ईरानी द्वीपों के मुद्दे पर स्पष्ट किया, “ये द्वीप ईरान के हैं और हमेशा रहेंगे। इस विषय पर हमारे पास किसी से भी कोई समझौता नहीं है।”