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हम फ़िलिस्तीनियों के जबरन पलायन की योजना को लागू नहीं होने देंगे: मिस्र

हम फ़िलिस्तीनियों के जबरन पलायन की योजना को लागू नहीं होने देंगे: मिस्र

मिस्र के विदेश मंत्री ने कहा है कि, क़ाहिरा कभी भी फ़िलिस्तीनियों के जबरन पलायन की योजना को लागू नहीं होने देगा और वह ग़ाज़ा पट्टी के पुनर्निर्माण के लिए एक अरब-इस्लामी योजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। हालांकि अभी तक मिस्र ने फ़िलिस्तीन के मुद्दे पर केवल बयानबाज़ी की है, कोई ठोस या निर्णायक क़दम नहीं उठाया है।

ईसना के अनुसार, मिस्र के विदेश मंत्री बदर अब्दुलआती ने बताया कि ग़ाज़ा में युद्ध-विराम के लिए बातचीत एक उन्नत चरण में पहुँच चुकी है और अधिकतर मसले हल हो चुके हैं। केवल एक मुद्दा बाकी है, जिसे सुलझाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि मिस्र, क़तर के सहयोग और अमेरिका के साथ समन्वय के ज़रिए इज़रायली और फ़िलिस्तीनी, दोनों पक्षों के साथ काम कर रहा है, ताकि तेज़ी से समझौते तक पहुँचा जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि मानवीय स्थिति ग़ाज़ा में इस क़दर बदतर हो चुकी है कि, यह न सिर्फ फ़िलिस्तीन-इज़रायल संघर्ष के इतिहास में बल्कि समूचे सभ्य दुनिया के इतिहास में अभूतपूर्व है — उस दुनिया के, जो मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों की बात करती है।
विदेश मंत्री अब्दुलआती ने यह भी कहा कि दुर्भाग्यवश, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इन खुलेआम हो रहे अपराधों को रोकने में पूरी तरह विफल रहा है। उन्होंने एक बार फिर ज़ोर देकर कहा कि, फ़िलिस्तीनियों का जबरन विस्थापन मिस्र की “लाल रेखा” है, जिसे पार करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अरब-इस्लामी योजना ग़ाज़ा के निवासियों को विस्थापित किए बिना पुनर्निर्माण की गारंटी देती है।
जब उनसे पूछा गया कि विस्थापन को कैसे रोका जाएगा, तो उन्होंने बताया कि मिस्र चाहता है कि, युद्ध-विराम के बाद क़ाहिरा में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया जाए जिसमें व्यापक अंतरराष्ट्रीय भागीदारी हो, ताकि पुनर्निर्माण और अरब-इस्लामी योजना को जल्द लागू किया जा सके और जबरन विस्थापन की साज़िश को पूरी तरह विफल किया जा सके। एक ऐसी साज़िश जिसे मिस्र हर हाल में रोकेगा।
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