सीरिया को इज़रायल पर हमले की जगह कभी नहीं बनने देंगे: जूलानी
सीरिया के विद्रोही लीडर “अबू मुहम्मद जूलानी” ने हाल ही में एक अंग्रेजी जर्नल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि वह कभी भी सीरिया को इज़रायल पर हमले के लिए एक मंच या जगह नहीं बनने देंगे। जूलानी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इज़रायल और सीरिया के बीच तनाव बढ़ चुका है और इज़रायल द्वारा की जाने वाली सैन्य कार्रवाइयाँ सीरियाई सीमा के करीब पहुंच गई हैं। जूलानी ने अपने इंटरव्यू में यह बात साफ़ कर दी कि, सीरिया अब इज़रायल के लिए सबसे सुरक्षित स्थान बन चुका है।
उनके इस बयान से यह भी सिद्ध होता है कि, जिस सीरिया को बशार अल-असद की तानाशाही से छुटकारा दिलाने का नारा दिया गया था वह दरअसल, असद सरकार को गिराने के लिए एक झूठा प्रोपेगंडा था जिसका मक़सद, सीरिया को इज़रायल के हवाले करना था, ताकि यहाँ से कोई फ़िलिस्तीनियों को किसी प्रकार की कोई मदद ना पहुंचा सके। शायद यही कारण है कि, इज़रायली सेना द्वारा लगातार सीरिया पर बमबारी करने के बाद भी विद्रोही गुटों ने इज़रायली सेना पर एक भी गोलीबारी नहीं की।
जूलानी का इस संबंध में बयान
तहरीर अल-शाम के प्रमुख जूलानी ने सोमवार को अंग्रेजी जर्नल “टाइम्स” को दिए गए इंटरव्यू में कहा, “मैं किसी भी हाल में यह नहीं होने दूंगा कि हमारी भूमि इज़रायल के खिलाफ किसी प्रकार के हमले का मंच बने।” जूलानी के इस बयान में यह स्पष्ट किया गया कि वह इस बात को लेकर बेहद सख्त हैं कि सीरिया के इलाके का इस्तेमाल इज़रायल के खिलाफ किसी प्रकार की सैन्य गतिविधि के लिए नहीं किया जाएगा। उनका यह भी कहना था कि वह किसी भी नई जंग में भागीदारी नहीं चाहते और न ही अपने देश में संघर्ष को और बढ़ने देना चाहते हैं।
इज़रायल के हमले और सीरिया की स्थिति
इससे पहले, इज़राइल द्वारा शाम पर किए गए हवाई हमलों के बारे में जूलानी से सवाल किए गए थे। इन हमलों में इज़रायल ने शाम के सैन्य ढांचे और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया था। बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद, इज़रायल ने 400 से अधिक हवाई हमले किए हैं, जिनके परिणामस्वरूप सीरिया के रक्षा और सैन्य संरचनाओं को काफी नुकसान हुआ है। इन हमलों ने सीरिया के भीतर इज़रायल की सैन्य गतिविधियों को और बढ़ा दिया, और इज़रायल ने राजधानी दमिश्क के करीब अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
सीरियाई विद्रोहियों का रुख़
सीरियाई विद्रोहियों ने इज़रायल की इस सैन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। न तो उन्होंने इज़रायली टैंकों और बख्तरबंद वाहनों पर गोलीबारी की और न ही इज़रायल के खिलाफ कोई अन्य सैन्य कार्रवाई की। इसका मतलब यह है कि विद्रोही नेता जूलानी और उनकी ताकतें इज़रायल से किसी प्रकार का टकरावनहीं चाहती हैं, और उन्होंने इस संघर्ष से अपनी दूरी बनाए रखने का प्रयास किया है।


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