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हमारे पास ट्रंप की बातों के लिए वक्त नहीं: इज़रायली मीडिया 

हमारे पास ट्रंप की बातों के लिए वक्त नहीं: इज़रायली मीडिया 

हिब्रू अखबार हारेत्ज़ ने लिखा: न तो ग़ाज़ा से “स्थानांतरण” होने जा रहा है, न ही वहां अमेरिकी कोई “रिविएरा” (रिविएरा इटली में एक पर्यटन स्थल है) बनाने वाले हैं। न कोई योजना है, न कोई प्रारंभिक कार्य, न कोई लाभ, और न ही ऐसा कोई देश है जो अपनी ज़मीन पर 20 लाख फ़िलिस्तीनियों को बसाने के लिए तैयार हो। हम द्वितीय विश्व-युद्ध के दौर में नहीं हैं। ट्रंप सिर्फ़ बेतुकी बातें कर रहे हैं—यही उनका तरीका है। पहले भी वह उत्तर कोरिया के परमाणु मिसाइलों की जगह वहां होटलों के निर्माण का सुझाव दे चुके हैं।

अपनी चुनावी जीत के बाद से ही उन्होंने पनामा पर हमला करने, ग्रीनलैंड पर क़ब्ज़ा करने और कनाडा को शामिल करने जैसी बातें की हैं। हमें इतना समय हो गया है कि हम याद रख सकें कि एक बार उन्होंने नेतन्याहू से मुलाकात के दौरान पश्चिमी तट को “इज़रायल” में शामिल करने की बात कही थी।

बिना सोचे-समझे कही गई बातों को गंभीरता से लेना बुद्धिमत्ता का अपमान है। हम एक तेज़ी से पतन की ओर बढ़ते दौर में जी रहे हैं। यह सही है कि नेतन्याहू भी एक बिना ज़मीर वाले आदमी है, लेकिन वह मूर्ख नहीं है। यहां तक कि जब ट्रंप ने ग़ाज़ा को खाली कराने की बात शुरू की, तब नेतन्याहू भी असहज हो गए और मजबूरी में शर्मनाक तरीक़े से ट्रंप की तारीफ़ करने लगे।

दुःखद है कि इज़रायली मीडिया के बड़े हिस्से ने इस मूर्खतापूर्ण तमाशे के सुर में सुर मिलाया है और वे फ़िलिस्तीनियों के स्थानांतरण के पक्ष या विपक्ष में बहस कर रहे हैं, जिसका स्तर कक्षा सात की सामाजिक अध्ययन की किताब जैसा है। नैतिकता की बात तो बाद में आती है, यह पूरे तौर पर सतही सोच और बौद्धिक आलस्य का परिचायक है। इन लोगों को मूर्ख बनाना बहुत आसान है।

यही ट्रंप और नेतन्याहू की विशेषज्ञता है—मीडिया पर लगातार बेकार और खोखली बातें थोपना, ऐसी चीज़ों के बारे में जिन्हें कभी अमल में नहीं लाया जाएगा। कल सुबह ट्रंप को यह भी याद नहीं रहेगा कि उन्होंने किस विषय पर बात की थी।

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