परमाणु हथियारों का हमारा कोई कार्यक्रम न था, न है और न ही होगा: ईरान
ईरान के उपराष्ट्रपति और परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) के प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने बुधवार (5 फरवरी ) को एक प्रेस वार्ता में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया दी। ट्रंप ने अपने बयान में जोर देते हुए कहा था कि “ईरान को परमाणु हथियार नहीं रखने चाहिए।”
इस्लामी ने स्पष्ट किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और उसका परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, “ट्रंप का यह कहना कि ईरान को परमाणु हथियार नहीं रखना चाहिए, कोई नई बात नहीं है। ईरान का परमाणु हथियारों से संबंधित कोई भी कार्यक्रम न पहले था, न अब है और न ही भविष्य में होगा।”
एनपीटी और अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षणों के तहत ईरान का परमाणु कार्यक्रम
मोहम्मद इस्लामी ने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के नियमों और निरीक्षणों के तहत संचालित हो रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईरान का उद्देश्य केवल परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग करना है और यह पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है।
IAEA के प्रमुख राफेल ग्रोसी की ईरान यात्रा
इस्लामी ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रोसी की ईरान यात्रा को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि, “ग्रोसी की यात्रा एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है और इसमें कोई असामान्य बात नहीं है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि IAEA के निरीक्षण नियमित हैं और ईरान पूरी पारदर्शिता के साथ इनका पालन कर रहा है।
ट्रंप के नए आदेश और अधिकतम दबाव की नीति
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार रात (बीती रात) एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत ईरान पर अधिकतम दबाव (Maximum Pressure Policy) की नीति को फिर से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। ट्रंप ने कहा:
“ईरान को परमाणु हथियार नहीं रखना चाहिए। हम ईरान पर जरूरत से ज्यादा सख्ती नहीं करना चाहते, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वह परमाणु हथियार प्राप्त न कर सके।”
ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु विवाद
पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका, ने लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संदेह जताया है। हालांकि, ईरान इस दावे को लगातार खारिज करता आया है और उसका कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह ऊर्जा उत्पादन और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए है।
गौरतलब है कि 2015 में ईरान और विश्व शक्तियों (P5+1) के बीच परमाणु समझौता (JCPOA) हुआ था, जिसमें ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने और IAEA के निरीक्षण को स्वीकार करने पर सहमति जताई थी। हालांकि, 2018 में ट्रंप प्रशासन ने इस समझौते से अमेरिका को बाहर कर लिया और ईरान पर कड़े प्रतिबंध फिर से लागू कर दिए।