हमने ईरान के बैलिस्टिक और परमाणु ख़तरे को ख़त्म कर दिया है: नेतन्याहू
तेल अवीव में इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बार फिर वही किया जो वो सबसे अच्छा करते हैं — झूठ को उपलब्धि की तरह पेश करना। संसद (कनेसेट) में अपने हालिया भाषण में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने ईरान के बैलिस्टिक और परमाणु ख़तरे को “ख़त्म” कर दिया है।
मगर यही बयान उनकी बौखलाहट और झूठी जीत का सबूत बन गया, क्योंकि पश्चिमी मीडिया से लेकर अमेरिकी थिंक-टैंक तक लगातार रिपोर्ट कर रहे हैं कि, ईरान की मिसाइल फैक्ट्रियां चौबीसों घंटे काम कर रही हैं और उसकी सैन्य क्षमता पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत हो चुकी है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान किसी भी नए युद्ध में एक साथ दो हज़ार मिसाइलें दागने की क्षमता रखता है।
दरअसल नेतन्याहू का यह भाषण उस वक्त आया है जब वो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों मोर्चों पर भारी दबाव में हैं। दो साल से जारी ग़ाज़ा युद्ध, जिसमें हज़ारों निर्दोष फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, अब इज़रायल के लिए शर्म और अलगाव का प्रतीक बन गया है। नेतन्याहू पर युद्ध अपराधों और जनसंहार के आरोप लग रहे हैं, जबकि वो “7 अक्टूबर” की घटनाओं की जांच के लिए बनने वाली सत्यापन समिति को रोकने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।
इज़रायली संसद में विपक्षी सांसदों ने आज फिर इस समिति के गठन की मांग दोहराई और नेतन्याहू से जवाबदेही तय करने की बात कही। वहीं देश के भीतर जनता का ग़ुस्सा बढ़ता जा रहा है—सैकड़ों लोग उनके इस्तीफे की मांग कर चुके हैं।
ग़ाज़ा पर जारी युद्ध ने न सिर्फ़ फ़िलिस्तीन को खंडहर बना दिया है, बल्कि दुनिया भर में इज़रायल की छवि को भी मिट्टी में मिला दिया है। अमेरिका और यूरोप में बढ़ते विरोध-प्रदर्शन अब यह दिखा रहे हैं कि, नेतन्याहू की तथाकथित “सुरक्षा नीति” दरअसल एक विफल, अमानवीय रणनीति है, जिसने इज़रायल को पहले से ज़्यादा असुरक्षित, अकेला और नैतिक रूप से दिवालिया बना दिया है।

