हमने इज़रायल को मुंहतोड़ और निर्णायक जवाब दिया: ईरानी सुरक्षा परिषद
इस्लामी गणराज्य ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने साफ़ किया है कि जब ज़ायोनी दुश्मन ने हमले की हिमाकत की, तब ईरानी सशस्त्र बलों के जांबाज़ बेटों ने अपने लहू से यह साबित कर दिया कि ईरान की सरज़मीन कोई भी दुश्मन बिना जवाब के नहीं छोड़ सकता।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई और सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ़ की सीधी आज्ञा पर ईरानी फौज ने जंग के मैदान में वो साहस और हिम्मत दिखाई जिसकी मिसाल इतिहास याद रखेगा। अमेरिकी ‘अल-उदीद’ एयरबेस से लेकर इज़रायली कब्ज़े वाले तमाम क्षेत्रों तक मिसाइलों की बारिश ने ज़ुल्म की नींव हिला दी।
इस निर्णायक जवाब के पीछे सिर्फ़ ताक़त ही नहीं, बल्कि जनता की जागरूकता, प्रतिरोध की एकजुटता और एकता का वो जज़्बा था जो हर मज़लूम कौम के लिए मिसाल है। यह वही ताक़त है जो वर्षों की रचनात्मकता, बलिदान और मज़हबी जज़्बे से परिपक्व हुई है और जिसने 12 दिन के लहूलुहान संघर्ष को एक विजयगाथा में बदल दिया।
यह जीत सिर्फ़ एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि एक इलाही इनाम है। एक ऐसी कौम के लिए जो ज़ुल्म के सामने झुकती नहीं, जो हमेशा अन्धकार में उम्मीद का चिराग़ जलाती है। दुश्मन को आज न सिर्फ़ अपनी शिकस्त का एहसास हुआ है, बल्कि वो अपने ही हमले पर शर्मिंदा होकर पीछे हटने को मजबूर हुआ है।
ईरान का यह बहादुर राष्ट्र जान ले कि उसकी फौज आज भी हर हमले के जवाब में ‘मुंहतोड़ और पछतावे से भरा जवाब’ देने को पूरी तरह तैयार है। ईरान अब सिर्फ़ एक देश नहीं, मज़लूमों की आवाज़, हुसैनी रास्ते का झंडाबरदार और जुल्म के हर ताज को तोड़ने वाली ताक़त बन चुका है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने स्पष्ट कर दिया है कि ईरानी सशस्त्र सेनाएं अब भी ट्रिगर पर उंगली रखे हर पल तैयार हैं। दुश्मन की बातों और वादों पर भरोसा नहीं किया जाएगा। अगर फिर किसी ने हमला करने की कोशिश की, तो उसका अंजाम पहले से भी ज़्यादा शर्मनाक और पछतावे से भरा होगा।

