हम इज़रायल के साथ सुरक्षा सहयोग को तैयार हैं: अल-जूलानी
अबू मुहम्मद अल-जूलानी, जो इन दिनों “अहमद अल-शरअ” के नाम से जाने जाते हैं, ने एक यहूदी भाषा के मीडिया को दिए इंटरव्यू में अपने और इज़रायल के लक्ष्यों के बीच समानता का खुलासा किया है। हिब्रू विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायली टेलीविज़न चैनल Channel 7 ने बताया कि हाल ही में अल-जूलानी ने यहूदी अखबार Jewish Journal को इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि, उनके उद्देश्य इज़रायल के साथ मेल खाते हैं।
हिब्रू मीडिया के अनुसार अल-जूलानी को अपने वजूद को बचाने के लिए इज़रायल की जरूरत है। अल-जूलानी जिन्हें पहले आतंकी घोषित किया गया था अब वह अमेरिका और इज़रायल के समर्थन से बशर-अल-असद सरकार के तख़्ता पलट के बाद सीरिया की गद्दी पर बैठ चुके हैं। इतना ही नहीं, उनको सीरिया सौंपने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सऊदी अरब दौरे पर सीरिया पर लगे सभी प्रतिबंध हटाने का भी एलान किया था। यह आतंकवाद के नाम पर अमेरिका का सबसे बड़ा पाखंड है।
अल-जूलानी और इज़रायल के बीच प्रत्यक्ष वार्ताओं का खुलासा
अल-जूलानी ने इस इंटरव्यू में कहा कि इज़रायली हमलों और बमबारी को रुकना चाहिए, क्योंकि कोई भी देश डर और दहशत के माहौल में तरक़्क़ी नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि हमारे साझा दुश्मन हैं, और हम भविष्य में पारस्परिक सुरक्षा सहयोग की संभावना देखते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि उनका शासन चाहता है कि, युद्ध के बाद इज़रायल और सीरिया के बीच जो सेना समझौता हुआ था, उसे फिर से लागू किया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि उनका और इज़रायल का साझा दुश्मन है, और इसी वजह से वे डोनाल्ड ट्रंप को क्षेत्र में हालात सुधारने के लिए सबसे अच्छा मध्यस्थ मानते हैं। अल-जूलानी के इस इंटरव्यू से यह साफ़ होता है कि अमेरिका और इज़रायल ने सीरिया के भविष्य को लेकर एक गुप्त रणनीतिक समझौता तैयार किया है, जिसके तहत:
1- अबू मुहम्मद अल-जूलानी (पूर्व घोषित आतंकवादी) को सीरिया में सत्ता में लाने के लिए अमेरिका और इज़रायल ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समर्थन दिया।
2- अल-जूलानी ने इज़रायली मीडिया को दिए इंटरव्यू में खुद इज़रायल से साझे उद्देश्य और सुरक्षा सहयोग की तत्परता जाहिर की — यह संकेत देता है कि दोनों पक्षों के बीच पहले से ही कोई सहमति बनी हुई है।
3- अल-जूलानी ने कहा कि वह चाहता है कि सीरिया और इज़रायल के बीच पुराना सैन्य समझौता (जो युद्ध के बाद हुआ था) फिर से लागू किया जाए — यह इज़रायल की सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
4- उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को “सबसे बेहतर मध्यस्थ” कहा, जो बताता है कि अमेरिका इस योजना को राजनयिक समर्थन और प्रतिबंधों में ढील के ज़रिए आगे बढ़ा रहा है।
इस प्रक्रिया के दौरान अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दमिश्क में अल-जूलानी से मुलाकात की — यह एक प्रकार की वैधता देने की कोशिश है ताकि उन्हें वैश्विक मंच पर एक नया नेता स्वीकार किया जा सके। इसका अर्थ यह है कि अमेरिका और इज़रायल के बीच एक अनौपचारिक लेकिन ठोस समझौता है — अल-जूलानी को सत्ता में लाकर सीरिया में एक इज़रायल-समर्थक शासन खड़ा करना, जिससे ईरान और हिज़्बुल्लाह जैसी शक्तियों को कमजोर किया जा सके।

